Explainer: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की इजाजत दे दी है. कोर्ट के इस फैसले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. अदालत ने शिंदे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया है. आइए जानते है, शिवाजी पार्क शिवसेना के लिए इतना खास क्यों है.
बता दें कि हाल के दिनों में शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करने को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे में जबरदस्त टकराव देखने को मिला. दरअसल, शिवसेना हर साल मुंबई के शिवाजी पार्क मैदान में दशहरा रैली करती है और शिंदे गुट के साथ इसी मुद्दे पर टकराव देखने को मिला. इस विवाद पर उद्धव ठाकरे ने खुली चुनौती देते हुए कहा था कि शिवाजी पार्क मैदान में शिवसेना ही दशहरा रैली करेगी और वो शिवसेना उद्धव ठाकरे के साथ है.
मुंबई के बीचों बीच बसे शिवाजी पार्क को महज एक सार्वजनिक मैदान नहीं माना जाता है. दरअसल, कई वर्षों से यह राजनीति, संस्कृति, खेल और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन का प्रमुख स्थल बना हुआ है. रामलीला के मंचन और नवरात्रि में मद्देनजर हर साल यहां अच्छी संख्या में लोग पहुंचते है. शिवसेना के लिए शिवाजी पार्क विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और पार्टी इसे शिवतीर्थ यानि तीर्थ स्थान कहती है. इन सबके बीच, महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इन दिनों इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर थी कि इस वर्ष दशहरा के अवसर पर शिवाजी पार्क में भीड़ को कौन संबोधित करेगा. उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे? हालांकि, अब उद्धव ठाकरे गुट को 2 से 6 अक्टूबर के लिए हाई कोर्ट की ओर से दशहरा रैली करने की इजाजत मिल गई है.
बता दें कि दशहरा के अवसर पर मैदान के एक हिस्से में एक विशाल मंच से शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की वार्षिक सभा को संबोधित करते रहे है. दशहरा रैली के मंच पर ही बाल ठाकरे ने अपने पोते आदित्य का 2010 में राजनीति से परिचित कराया था. उन्हें तलवार भेंट करते हुए ठाकरे ने शिवसैनिकों से आदित्य की देखभाल करने का आग्रह किया. बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ने दशहरा रैली की परंपरा को जारी रखा है.
नवंबर 2012 में बाल ठाकरे की मृत्यु हुई, तो उनका अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में उसी स्थान पर किया गया, जहां उनकी दशहरा रैली का मंच बनाया जाता था. अब उनका स्मारक पश्चिमी हिस्से में शिवाजी पार्क के एक हिस्से पर है. वहीं, पूर्वी तरफ उनकी दिवंगत पत्नी मीनाताई ठाकरे की एक प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें शिव सैनिक मां साहेब कहते हैं. 2019 में जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बने तो उन्होंने शपथ ग्रहण के लिए शिवाजी पार्क को स्थान के रूप में चुना. शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की परंपरा शिवसेना की पहचान के साथ अंतर्निहित है. इसलिए दोनों गुट इसके लिए आक्रामक रूप से होड़ करते दिखे.
बॉम्बे हाई कोर्ट में आज इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान उद्धव, शिंदे और बीएमसी के वकीलों ने अपनी- अपनी दलीलें दीं. एक तरफ जहां ठाकरे गुट ने पचास साल पुरानी शिवसेना की परंपरा का हवाला देते हुए मंजूरी की मांग की थी. वहीं, दूसरी तरफ बीएमसी ने बताया कि कोई व्यक्ति या संगठन मैदान में रैली के लिए अपना अधिकार नहीं जता सकता. उन्हें हर साल आवेदन करना होगा. साथ ही लॉ एंड आर्डर की समस्या को देखते हुए आवेदन को खारिज किया जा सकता है. बीएमसी ने इसी आधार पर किसी भी गुट को इजाजत नहीं दी थी.