रांची: ईडी ने अवैध खनन की जांच रिपोर्ट में कहा है कि पंकज मिश्रा को लेवी दिये बिना साहिबगंज जिले में वैध खनन करना भी असंभव है. वह न केवल अवैध खनन करता था, बल्कि वैध व अवैध खनन करनेवालों से लेवी भी वसूलता था. स्टीमर दुर्घटना पर कार्रवाई के मामले मे उसने आयुक्त को भी धमकी दी थी. स्टोन चिप्स व बोल्डर ढोनेवाले ट्रकों से प्रति ट्रक 1500 रुपये और मालवाहक पानी जहाज (स्टीमर) पर स्टोन चिप्स लदे ट्रकों से प्रति ट्रक 500 रुपये की दर से लेवी वसूलता था. उसने सिर्फ एक अवैध खनन क्षेत्र से 42 करोड़ रुपये की कमाई की है. हालांकि आयकर रिटर्न में चार से 15 लाख रुपये तक की ही आमदनी होने का उल्लेख किया है.
जांच में इडी को आर्यन स्टोन द्वारा एनवायरनमेंट क्लियरेंस के लिए स्टेट एनवायरनमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के अधिकारियों को 15 लाख रुपये घूस देने से संबंधित तथ्य भी मिले हैं. इन कार्यों के लिए पंकज मिश्रा अपने राजनीतिक रसूख का भी इस्तेमाल करता था. वह खनन करनेवालों से लेवी वसूलने के लिए बच्चू यादव, दाहू यादव को संरक्षण देता था.
इडी ने बरहरवा टोल विवाद की जांच में पाया कि अवैध खनन क्षेत्र से चिप्स लदे ट्रकों को मेन रोड तक पहुंचने के लिए बरहरवा पंचायत के टोल नंबर छह से गुजरना पड़ता है. पंकज मिश्रा व अन्य लोग इस रास्ते को अपने लिये सुरक्षित रखना चाहते थे. इस वजह से इसके टेंडर में विवाद हुआ था.
पंकज के पास एक वैध खदान थी, जिसे वह महाकाल स्टोन्स के नाम से चलाता था. उसने ‘मंड्रो’ में अवैध खनन कर 69.34 लाख सीएफटी पत्थर निकाला. इसकी कीमत 42 करोड़ रुपये है. बच्चू की पत्थर खदान का लाइसेंस रद्द कर दिया था. हालांकि वह पंकज को 16 लाख रुपये प्रति माह देकर उसे चला रहा था. पंकज ने नेहा स्टोल को सील करा दिया था.
पंकज मिश्रा का गंगा में चलनेवाले स्टीमर पर भी नियंत्रण था. इसकी देखरेख बच्चू व दाहू करते थे. मेरीन इंफ्रा लिंक के स्टीमर को साहिबगंज व बिहार के बीच चलने की अनुमति नहीं थी. इसके बाद भी इसे जबरन चलाया जाता था. 23 मार्च को साहिबगंज व मनिहारी के बीच चलनेवाला स्टीमर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. परिवहन विभाग ने आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी.
इस आधार पर डीसी से रिपोर्ट मांगी थी. डीसी की रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं होने से आयुक्त ने सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. पंकज मिश्रा ने खुद आयुक्त को फोन कर कहा कि वह इस मामले में डीसी से रिपोर्ट मांगने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करें, क्योंकि मालवाहक जहाज उसके हैं और उसके नियंत्रण में ही चलता है.
वित्तीय वर्ष आमदनी
2015-16 10.32 लाख
2016-17 6.14 लाख
2017-18 4.96 लाख
वित्तीय वर्ष आमदनी
2018-19 11.11 लाख
2019-20 10.24 लाख
2020-21 15.20 लाख