Bettiah में इंडो नेपाल सीमा पर बुधवार को तीसरे दिन भी नेपालियों का आना जाना बंद रहा. आज तीन दिनों से भारतीय किसान नेपाल से आने वाले नाले को खोलने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसानों ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में आने वाले नाले को नेपालियों के बंद करने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुईं है. इनलोगों कहा कि आज तीन दिनों से हम लोग इंडो नेपाल बॉर्डर पर दिन-रात रह कर रतजग्गा कर रहे हैं. अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन जनप्रतिनिधि, सांसद हो या विधायक अथवा कोई आलाधिकारी समस्या के समाधान के लिए पहल करना तो दूर की बात हम लोगों का खोज खबर लेने भी अभी तक नहीं पहुंचे.
किसानों का कहना है कि इसके बाद ऐसे जनप्रतिनिधियों का भी खुले मंच से विरोध किया जाएगा. हम भारतीय किसानों ने भी संकल्प ले लिया है कि जब तक हमारे भारतीय क्षेत्र में आने वाले नाले की पानी नहीं खुलेगा तब तक अनिश्चितकालीन हम भारतीय किसान बॉर्डर पर तैनात रहेंगे और नेपालियों का आना जाना बंद रखेंगे. दुकानों से समान राशन पानी, सारी उपयोग की वस्तुओं पर प्रतिबंध लगी रहेगी. साथ ही उन लोगों ने बताया कि अगर नाला शीघ्र नहीं खुला तो हम भारतीय किसान आंदोलन को और तेज कर देंगे.
दूसरी तरफ नेपाल प्रशासन के परहरी भी नेपाली जनता को भारतीय सीमा में आने से रोक लगा दिया है. उनका कहना है कि लोगों का आवागमन को लेकर कोई विवाद नहीं हो जाए, इसके लिए यह कदम उठाया गया है. भारतीय किसान, एसएसबी भिखनाठोरी से करीब 50 मीटर पहले इंडो नेपाल को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर बांस की बली लगाकर बैरिकेडिंग कर दिया है. ताकि आवागमन पूर्ण रुप से बंद हो जाए.
भारतीय किसानों का कहना है कि नेपालियों द्वारा सिर्फ आज तक आश्वासन ही मिलते आया है लेकिन बरसों से मिल रही सुविधाओं को नेपालियों द्वारा बंद कर देने से काफी समस्याएं उत्पन्न हो गई है नेपाल से भारतीय सीमा में आने वाले दो नाले की पानी से एकवा, परसौनी, खैरटिया, भवानीपुर, भटनी, बनबैरिया आदि गांवों के करीब 300 एकड़ भूमि की पटवन होती थी जो आज नाला बंद हो जाने से सारी धान व गन्ने की फसलें सूख गई है. इससे हम भारतीय किसान भुखमरी के शिकार हो रहे हैं. कई दशकों से नेपाल से भारतीय सीमा में आधे दर्जन से अधिक गांवों के 300 एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई जिस नाले से होती थी, आज वह नाला अपने हाल पर रो रहा है. वीरान पड़ गए हैं दोनो नालें.