पटना/पूर्णिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 सितंबर को सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं. इल दौरे के क्रम में शाह पूर्णिया में जनभावना रैली को संबोधित करेंगे, जबकि किशनगंज में अलग-अलग दो बैठकों में हिस्सा लेंगे. जदयू से गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह के इस पहले दौरे को लेकर राजनीतिक हलकों में कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि अमित शाह सीमांचल के रास्ते बिहार में न केवल मिशन-2024 का आगाज करेंगे, बल्कि पार्टी की जमीन मजबूत करने की कोशिश भी करेंगे.
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने मिलकर बिहार में 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें जदयू को 16 सीट मिले थे. अब नयी परिस्थितियों में नीतीश कुमार के बगैर भाजपा ने 35 सीटों का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में मिशन-35 को पूरा करने के लिए अमित शाह का यह दौरा इसी मुहिम की पहली और महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है. दरअसल, मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल क्षेत्र में राजद के एम-वाइ समीकरण के चलते यह इलाका महागठबंधन का गढ़ माना जाता है.
इंदिरा गांधी स्टेडियम में नेताओं के बैठने के लिए 56 फीट चौड़ा और 28 फीट लंबा स्टेज बनाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर आम लोगों के लिए अल्युमुनियम के दो शेड बनाये जा रहे हैं, इनमें एक की लंबाई 100 मीटर और चौड़ाई 40 मीटर और दूसरे शेड की लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है. यहां 25 हजार कुर्सियां होंगे.
समीकरण के लिहाज से अब भी महागठबंधन भारी है. पूर्णिया प्रमंडल में लोकसभा की चार सीटें हैं. पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को चार में से तीन सीटें मिली थीं. इनमें अररिया सीट भाजपा को और पूर्णिया और कटिहार की सीट जदयू को. किशनगंज की सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी.
अब जबकि जदयू ने भाजपा से किनारा कर लिया है, तो भाजपा सीमांचल के बहाने राजनीति की ऐसी बिसात बैठाना चाहती है, जिससे जातीय गोलबंदी की बजाय हिन्दुओं का ऐसा ध्रुवीकरण हो जिसकी गूंज पूरे बिहार-बंगाल तक सुनाई पड़े. भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष सह विधान पार्षद डा. दिलीप कुमार जायसवाल भी मानते हैं कि 2014 से पहले पूर्णिया, कटिहार, अररिया, खगड़िया और बांका में भाजपा का कब्जा था.