श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष व संस्कृत के प्रकांड विद्वान पद्मश्री आचार्य रामयत्न शुक्ल का मंगलवार की शाम निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे.
पिछले एक सप्ताह से थे बीमार
बताया जा रहा है कि पद्मश्री आचार्य रामयत्न शुक्ल पिछले एक सप्ताह से बीमार थे. तबीयत खराब होने के कारण उन्हें परिवार के लोगों ने शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.
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आचार्य शुक्ल के निधन पर शोक की लहर
आचार्य रामयत्न शुक्ल के देहावसान की जानकारी मिलते ही काशी के विद्वत समाज में शोक की लहर दौड़ गई. आचार्य शुक्ल के निधन पर श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो राम नारायण द्विवेदी ने शोक संवेदना व्यक्त की है. कहा कि काशी के विद्वत समाज का एक सूर्य अस्त हो गया है. आचार्य शुक्ल की भरपाई कभी नहीं हो सकती है. संस्कृत व्याकरण के वह मूर्धन्य विद्वान थे. उधर, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत जगत की यह अपूरणीय क्षति है.
90 साल की उम्र में भी विद्यार्थियों को दे रहे थे संस्कृत की शिक्षा
आचार्य रामयत्न शुक्ल शंकुलधारा तालाब के पास (खोजवां) स्थित अपने आवास पर 90 वर्ष की आयु में भी संस्कृत जिज्ञासुओं व विद्यार्थियों से घिरे रहते थे. आचार्य शुक्ल को पिछले वर्ष पद्मश्री अलंकार से सम्मानित किया गया था.
छात्रों को दे रहे थे निशुल्क शिक्षा
आचार्य रामयत्न शुक्ल युवाओं में संस्कृत के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे. युवाओं को संस्कृत से जोड़ने के लिए वो उन्हें निशुल्क शिक्षा भी देते थे. उन्होंने अष्टाध्यायी की वीडियो रिकार्डिंग तैयार करवायी थी, जिसके माध्यम से संस्कृत को सहज रूप में नयी पीढ़ी को बताने का काम किया.