Bokaro News: हादसे में घायल जरीडीह प्रखंड के बहादुरपुर निवासी बसंती देवी का पैसे नहीं दिये जाने की वजह से इलाज करने से प्राइवेट अस्पताल का इनकार किये जाने के मामले को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने संज्ञान में लिया है. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा है कि मामले में सिविल सर्जन बोकारो को बेहतर इलाज का निर्देश दिया गया है. साथ ही निर्देश दिया गया है कि जरूरत पड़ने पर रिम्स भेज इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
पहले पेज पर की थी खबर प्रकाशित
जरीडीह प्रखंड के बहादुरपुर निवासी बसंती देवी का पैसे के इलाज के मामले को प्रभात खबर ने धनबाद संस्करण में पहले पन्ने पर प्रकाशित की है. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल इलाज शुरू करने का निर्देश दिया. मिली जानकारी के मुताबिक 108 एंबुलेंस की मदद से उसे अभी सदर अस्पताल इलाज के लिए ले जाया जा रहा है. इसके बाद जांच की जायेगी. अगर जरूरत पड़ी तो उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स ले जाया जायेगा.
मामले में सिविल सर्जन बोकारो को बेहतर इलाज का निर्देश दिया गया हैं, साथ ही निर्देश दिया गया हैं की जरूरत पड़ने पर रिम्स भेज इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करें। https://t.co/BPKFfxb6mQ
— Banna Gupta (@BannaGupta76) September 20, 2022
क्या है मामला
जरीडीह प्रखंड की बहादुरपुर निवासी बसंती देवी (54 वर्ष) पति स्व धरम सिंह 16 अक्तूबर 2021 को मजदूरी कर शाम के वक्त अपने घर लौट रही थी. घर पहुंचने ही वाली थी कि करीब सात बजे एनएच-23 पर बहादुरपुर बाजार के पास तेज रफ्तार में आ रही बाइक (जेएच09एवी 2372) ने टक्कर मार दी. इस घटना में बसंती देवी का दाहिना पैर टूट गया. स्थानीय लोग 108 एंबुलेंस की मदद से महिला को बीजीएच ले गये. वहां पहुंचने पर एंबुलेंस के चालक ने कहा कि यहां ठीक तरह से इलाज नहीं होगा. इसलिए प्राइवेट हॉस्पिटल ले चलिए. उसके कहने पर लोग जैनामोड़ स्थित लाइफ केयर हॉस्पिटल ले गये. यहां तक ले जाने के एवज में एंबुलेंस के चालक ने 500 रुपये भी लिया.
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अस्पताल प्रबंधन को रहम नहीं आया
लाइफ केयर अस्पताल में महिला को आनन-फानन में भर्ती कर दिया गया. पहले तो इलाज के नाम पर देरी की गयी. बाद में जब इलाज शुरू हुआ तो बताया गया कि लगभग 80-85 हजार खर्च आयेगा. बसंती देवी ने पोती की शादी के लिए 50 हजार रुपये बचाकर रखे थे उसे अस्पताल में जमा करवा दिया. करीब दस दिन बीतने के बाद अस्पताल संचालक ने बाकी के पैसे जल्द जमा करने को कहा. इस पर महिला ने कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं, कुछ कम कर दीजिये. इतना सुनते ही चिकित्सक ने 27 अक्तूबर 21 को इलाज करने से मना करते हुए अस्पताल से भगा दिया. इतना ही नहीं बिल तक नहीं दिया. इस बात की जानकारी बाराडीह की मुखिया पुष्पा देवी को मिली तो वह अस्पताल पहुंची और बिल देने की मांग की. काफी देर तक टालमटोल करने के बाद बिल तो दे दिया, लेकिन इलाज नहीं किया गया. तब से बसंती की जिंदगी दर्द में गुजर रही है.