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हिजाब पर बैन लगाना मुसलमानों के खिलाफ सरकारी बाबुओं का हथकंडा, SC में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दी दलील

सर्वोच्च अदालत में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था. दुष्यंत दवे ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच से कहा कि यह मामला केवल ड्रेस कोड का नहीं है.

नई दिल्ली : कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए जाने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अपनी दलीलें पेश कीं. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अपनी दलील के दौरान सर्वोच्च अदालत को बताया कि मुसलमानों को हाशिए पर लाने के लिए कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाना सरकारी अधिकारियों का हथकंडा है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हमें पसंद हो या न हो, लेकिन किसी को हिजाब पहनने के अधिकार को छीना नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह मामला केवल ड्रेस कोड का नहीं है.

मामला केवल ड्रेस कोड का नहीं

सर्वोच्च अदालत में सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच से कहा कि यह मामला केवल ड्रेस कोड का नहीं है और वह यह बताना चाहेंगे कि राज्य के अधिकारियों के विभिन्न हथकंडों से अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर रखने का एक तरीका दिखता है.

आज का माहौल उदार नहीं

यह तर्क देते हुए कि देश उदार परंपराओं और धार्मिक विश्वासों पर बना है, कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए दुष्यंत दवे ने कहा कि आज जिस तरह का माहौल देखा जा रहा है, वह उदार कहलाने से बहुत दूर है. दवे ने कहा कि आप (राज्य प्राधिकरण) यूनिफॉर्म बताकर यह प्रस्ताव पारित कर रहे हैं. वास्तव में यह किसी अन्य उद्देश्य के लिए है. पूरा विचार यह है कि मैं अल्पसंख्यक समुदाय को कैसे बताऊं कि आपको अपनी मान्यताओं को मानने की अनुमति नहीं है, आपको अनुमति नहीं है अपने विवेक का पालन करने की. आप वही करेंगे जो मैं आपको बताऊंगा. उन्होंने कहा कि हमने हिजाब पहनकर किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई है. हमारी पहचान हिजाब है. दलीलें मंगलवार को भी जारी रहेंगी. हालांकि, पीठ ने धार्मिक प्रथाओं के बारे में भी पूछा.

भारत ने सभी धर्मों को अपनाया

वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अपनी दलील में कहा कि हम किसी मिलिट्री स्कूल की बात नहीं कर रहे हैं और न ही यह मामला मिलिट्री स्कूल से जुड़ा है और न ही हम किसी नाजी स्कूल की बात कर रहे हैं, जो रेजिमेंट बनाता है. हम प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज की बात कर रहे हैं. भारत एक बेहतरीन संस्कृति वाला देश है, जिसने सबको आत्मसात किया. यहां की विरासत महान है. हमें 5000 साल की पुरानी विरासत मिली हुई है. हमने कई धर्म अपनाए. इतिहासकार बताते हैं कि भारत में जहां से लोग आए, वह सब यहां होकर रह गए और भारत ने उन्हें अपना लिया. भारत में हिंदुत्व, जैन, बुद्ध सब का जन्म हुआ. यहां इस्लाम आया और उसे भी स्वीकार किया गया. भारत ने तो सबको स्वीकारा है और ब्रिटिश को भी स्वीकारा.

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हम सब औरंगजेब की क्यों करते हैं निंदा

उन्होंने कहा कि भारत एक उदारवादी देश है. भारत में विविधता में एकता है. हम सब औरंगजेब के कृत्यों की निंदा की है, लेकिन हमने देखा है कि अकबर के कार्यकाल में देश का विकास हुआ. उन्होंने भारत के संविधान का जिक्र किया और उसे बनाने के दौरान संविधान सभा की बहस पर भी ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा कि किस तरह से प्रबुद्ध लोगों ने उस दौरान बहस की, जो पढ़ने योग्य है. संविधान हमेशा लिबर्टी यानी स्वच्छंदता की बात करता है. अनुच्छेद-21 में जीवन और स्वतंत्रता की बात है, वहीं अनुच्छेद-19 अभिव्यक्ति की बात करता है.

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