भागलपुर: युवा अगर टीबी रोग का शिकार होते है तो उनकी बीमारी का पता लगाना आसान है. यह बातें शिशु रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ आरके सिन्हा ने कही. प्रो सिन्हा रविवार को बच्चों में टीबी की बीमारी रोकथाम को लेकर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. इस मौके पर डाॅ डीपी सिंह ने कहा कि घर के बड़े सदस्य में अगर कोई टीबी रोग से संक्रमित है, तो इसका प्रभाव घर के बच्चों पर दिखता है.
संक्रमण की वजह से यह टीबी का शिकार हो जाते है. पटना एम्स से आये चिकित्सक डॉ. अनिल घोष ने कहा कि मां अगर टीबी रोग से ग्रसित है, तो उससे बच्चों में इसका संक्रमण हो सकता है. यह खतरा तीस प्रतिशत तक हो सकता है. जबकि एक से पांच साल के बच्चों में संक्रमण का खतरा 25 प्रतिशत होता है.
होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डाॅ. उमेश शर्मा ने किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से टीबी के प्रति लोगों को अहम जानकारी तो मिलती ही है. साथ ही इसको रोकने के उपाय के बारे में भी जनमानस को पता चलता है. इस तरह का आयोजन होते रहना चाहिए, जिससे रोग से निबटने के लिए आयी नयी तकनीक की जानकारी हो सके. इस मौके पर आइपीए इकाई के अध्यक्ष डॉ विनय, साइंटिफिक चेयरमैन डॉ अजय कुमार सिंह, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ सुदर्शन झा, डॉ एचपी दुबे, डॉ राकेश, डॉ राकेश कुमार, डॉ पवन यादव, डॉ विनय कुमार, डॉ कामरान फजल, डॉ केके सिन्हा समेत दर्जनों लोग मौजूद थे.