पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बनाया गया है. लेकिन, फुटपाथ पर सब्जियों, फलों, चाय, पान के दुकानदारों ने कब्जा जमा रखा है. और उस पर यह कि नगर निगम निर्धारित राशि वसूल कर इन अतिक्रमणकारियों को वैध करने पर तुला है. इस कारण लोगों को सड़कों पर से ही गुजरने को विवश होना पड़ा. इससे दुर्घटना की आशंक सताती रही. पुलिस क्लब, एलआइसी मोड़, पुरनदाहा मोड़, वीआइपी चौक, सत्संग चौक तक दुकानदार फुटपाथ पर ही कब्जा जमाये बैठे रहे. करीब 80 लाख रुपये से अधिक खर्च कर लोगों को पैदल चलने के लिए फुटपाथ पर पेवर्स लगाया गया है. पर इस पर दुकानदारों को कब्जा करने की खुली छूट दे दी गयी है. देवघर के प्रमुख भीड़-भाड़ वाला इलाकों के साथ जसीडीह के प्रमुख हिस्सों में पेवर्स व सड़कों पर ईंट, बालू, सरिया आदि बिल्डिंग मैटीरियल गिरा कर उसका अतिक्रमण कर लिया जा रहा है. निगम का दावा है कि वह इस प्रकार के अतिक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए फाइन वसूल करने के साथ आवश्यक कार्रवाई कर रहा है. बावजूद नगर निगम के इस आश्वासन से लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. यह समस्या आज तक बरकरार है.
नगर निगम ने पैदल चलने वालों के लिए सड़कों के किनारे लाखों की लागत से पेवर्स लगाये हैं. लोगों को दुर्घटना से बचाने के लिए यह व्यवस्था की गयी है. लेकिन, विडंबना है कि इस पेवर्स पर फुटपाथ के दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है. छोटी मस्जिद से पुरनदाहा मोड़, नगर थाना से लेकर एलआइसी मोड़, भगवान टॉकिज मोड़, वीआइपी चौक तक फुटपाथ पर सब्जी विक्रेताओं ने स्थायी रूप से कब्जा जमा लिया है. यही नहीं, बरमसिया, बजरंगी चौक, बाजला चौक से फव्वारा चौक तक भी पूरा फुटपाथ दुकानदारों के कब्जे में है. कई जगहों पर फास्ट फूड वाले दुकानदारों ने भी कब्जा लिया है. यही स्थिति फव्वारा चौक, राय एंड कंपनी मोड़ से बजरंगी चौक तक है. पैदल चलने वाले लोगों के लिए कहीं से अनुकूल नहीं है.
ट्रैफिक पुलिस सिर्फ बाइक चालकों से फाइन वसूलने में ज्यादा व्यस्त रहती है. ट्रैफिक पुलिस की पूरी टीम शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर बाइक चालकों से हेलमेट, पेपर, पॉल्यूशन, इंश्योरेंस आदि की चेकिंग कर फाइन वसूलने में इतनी व्यस्त रहती है कि उसका ध्यान शहर की यातायात व्यवस्था पर नहीं जा पाता. शहर के होटल, रेस्टूरेंट, बैंक, शिक्षण संस्थानों के सामने चारपहिया वाहनों के खड़े कर दिये जाने से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. अवैध पार्किंग पर आखिर लगाम क्यों नहीं लगाती. इसके पीछे ट्रैफिक पुलिस की मंशा क्या है, ये तो विभाग के लोग ही जानें. मगर सड़कों पर जाम का दायरा बढ़ता है, तो वाहन चालक खुद ही वाहनों से उतर कर जाम हटाने में भिड़ जाते हैं.
देवघर की प्रमुख सड़कों के अलावा कुछ चौक-चौराहों को बालू, गिट्टी, सरिया, ईंट गिरा कर अतिक्रमण कर लिया जाता है. निजी व व्यावसायिक भवन निर्माण कराने के नाम पर यह सिलसिला महीनों से नहीं, बल्कि वर्षों से चला आ रहा है. नगर निगम द्वारा अभियान चलाकर कार्रवाई के साथ जुर्माना भी वसूल गया, पर यह नाम मात्र का रहा. केवल कुछ जगहों से ही जुर्माना लिया गया. इस कारण सड़कों पर अतिक्रमण का सिलसिला जारी है. निगम द्वारा अब भी आश्वासन दिया जा रहा है कि कार्रवाई कर लोगों को सहूलियत पहुंचायी जायेगी. लेकिन, स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है. सड़कों का अतिक्रमण किये जाने से न सिर्फ वाहनों के आवागमन में परेशानी हो रही है. बल्कि कभी-कभी बड़ी दुर्घटना के शिकार भी लोग हो जा रहे हैं. बावजूद कोई चेतने को राजी नहीं हैं. भवन निर्माण के लिए मैटीरियल गिराने के अलावा अब तो काम भी सड़कों पर ही किया जाता है. मिक्शचर मशीन को खुली सड़कों पर ही रख कर मसाला मिलाने का काम होता है. लेकिन, नगर क्षेत्र में इस प्रकार के अवैध काम करने वालों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है.
त्योहार का सीजन देखते हुए देवघर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट ने यातायात विभाग को 35 अतिरिक्त पुलिसकर्मी मुहैया कराये हैं. वे शनिवार से शहर के चौक-चौराहों में ड्यूटी करते नजर आयेंगे. एसपी ने बताया कि पुलिस विभाग इस समस्या का समुचित समाधान कैसे कर पायेगा, जब सड़कों पर भारी पैमाने में बिल्डिंग मैटेरियल गिट्टी, बालू, ईंटा व डस्ट मकान निर्माण के लिए स्टॉक करके रखा गया हो. उसे हटाने की जिम्मेवारी प्रशासनिक स्तर पर होनी चाहिए. सड़क की चौड़ाई व लंबाई तो वही है, मगर प्रत्येक दिन धड़ल्ले से सड़कों पर टोटो उतर रहे हैं. सड़कों पर टोटो की बढ़ती संख्या की वजह से शहर में ट्रैफिक कंट्रोल करना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. पुलिस ज्यादा से ज्यादा चौक-चौराहों पर लगने वाले जाम को हटाने के लिए सख्ती दिखाकर वहां से हटा सकती है. उस पर कार्रवाई तो संबंधित विभाग को करना चाहिए. इस समस्या पर समन्वय के साथ काम किया जाना चाहिए, ताकि शहर में ट्रैफिक समस्या का कोई कंक्रीट हल निकल सके.