गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) के पहले प्रदर्शन का दौर शुरू हो चुका है1 इस क्रम में स्कूली शिक्षकों समेत गुजरात सरकार के हजारों कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने की मांग करते हुए शनिवार को विरोधस्वरूप ‘सामूहिक आकस्मिक अवकाश’ ले लिया.
जानकारी के अनुसार विभिन्न यूनियनों के साझा संगठन ने शुक्रवार यह कहते हुए आंदोलन वापस ले लिया था कि गुजरात सरकार ने उनकी अधिकतर मांगें मान ली हैं लेकिन जिला स्तरीय यूनियनों ने दावा किया कि सरकार ने ओपीएस की उनकी मुख्य मांग नहीं मानी है.
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (सौराष्ट्र क्षेत्र) के समन्वयक महेश मोरी ने कहा कि हमारी मुख्य मांग ओपीएस थी और राज्य सरकार ने शुक्रवार को इस मुद्दे का हल नहीं किया. यह मुद्दा राज्य के प्रत्येक कर्मचारी को प्रभावित करता है, इसलिए उन्होंने 17 सितंबर को सामूहिक आकस्मिक अवकाश (के निर्णय) से जुड़ने का निर्णय लिया.
Also Read: Gujarat Election 2022 : गुजरात में आदिवासी वोटर किस पर करेंगे भरोसा ? जानें कौन है यहां का ‘दादा’
महेश मोरी ने कहा कि अकेले भावननगर में शनिवार को करीब 7000 सरकारी अध्यापक अवकाश पर रहे. शिक्षकों, पंचायत स्वास्थ्य कर्मियों एवं राजस्व कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन राज्य में ओपीएस की बहाली की मांग को लेकर पिछले कुछ समय से प्रदर्शन कर रही हैं. गांधीनगर में बड़ी संख्या में असंतुष्ट कर्मियों ने पुराने सचिवालय परिसर में रैली में हिस्सा लिया और वे काम पर नहीं गये.
Also Read: Gujarat Election 2022 : द्वारका विधानसभा सीट पर क्या करेगी भाजपा, जानें क्या है यहां का समीकरण
एक प्रदर्शनकारी कर्मचारी ने कहा कि हमारे यूनियन नेताओं ने यह कहते हुए आंदोलन वापस ले लिया कि हमारी सभी मांगें मान ली गयी हैं. लेकिन ओपीएस की हमारी मांग अब भी लंबित है. सरकार केवल उन कर्मचारियों को ओपीएस देने पर राजी हुई है जो 2005 से पहले सेवा में आये.
भाषा इनपुट के साथ