भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के तहत गोरखा भर्ती पर मामला फंसता नजर आ रहा है. एक ओर नेपाल ने साफ कर दिया है कि जब तक नयी सरकार का गठन नहीं होता है, तबतक इसपर फैसला नहीं लिया जाएगा. दूसरी ओर अगर तुरंत इस पर फैसला नहीं लिया गया, तो भारत नेपाली सैनिकों की भर्ती से पीछे हटने का फैसला ले सकता है.
नेपाल ने कहा, गोरखा भर्ती पर तुरंत नहीं ले सकते फैसला
नेपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के तहत गोरखा भर्ती के संबंध में फैसला 20 नवंबर को आम चुनाव के बाद नव-निर्वाचित सरकार करेगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेवा लाम्साल ने काठमांडू में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय सेना में अल्पकालिक भर्ती के संबंध में तत्काल फैसला लिए जाने की संभावना बेहद क्षीण है.
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नेपाल ने कहा, गोरखा भर्ती पर फिलहाल कोई बात नहीं करेंगे
ऑनलाइन पोर्टल ‘नेपालखबर डॉट कॉम’ की खबर के अनुसार, नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भारतीय सेना में गोरखा भर्ती पर नेपाल फिलहाल भारतीय अधिकारियों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 20 नवंबर को आम चुनाव के बाद नवनिर्वाचित सरकार भारतीय सेना की अग्निपथ योजना में गोरखा भर्ती पर फैसला लेगी.
नेपाल से सैनिकों की भर्ती से पीछे हट सकता है भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की यह टिप्पणी मीडिया में आयी उन खबरों पर प्रतिक्रिया है जिसमें भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडेय के हवाले से कहा गया है कि अगर नेपाल इस संबंध में जल्दी फैसला नहीं लेता है तो अग्निपथ योजना के तहत मौजूदा भर्तियों में भारत को नेपाल से सैनिकों की भर्ती से पीछे हटने का फैसला लेना पड़ेगा.
24 अगस्त से शुरू होनी थी गोरखा अग्निवीरों की भर्ती
जनरल पांडेय पिछले ही सप्ताह नेपाल यात्रा पर आए थे और अपने समकक्ष सहित हिमालयी देश के शीर्ष नेतृत्व से मिले थे. भारतीय सेना की अल्पकालीक भर्ती योजना अग्निपथ के तहत गोरखा भर्ती 24 अगस्त से शुरू होनी थी. हालांकि, नेपाल के अनुरोध पर इसे आगे बढ़ा दिया गया है.