Dhanbad News: कभी कलकल करती बहने वाली सेंद्रा जोरिया देखते ही देखते नाले में तब्दील हो गयी. जोगता क्षेत्र के इस एकमात्र जलस्रोत का अस्तित्व यहां कार्य कर रही आउटसोर्सिंग कंपनियों के चलते संकट में है. दरअसल, सिजुआ मोड़ से कोई तीन किलोमीटर दूर सेंद्रा मोड़ के पास कोयला खनन की प्रक्रिया में ओवरबर्डन गिराये जाने से लगभग ड़ेढ़ किलोमीटर लंबाई में जोरिया का अस्तित्व समाप्त हो गया है.
ऐसे हुआ अस्तित्व समाप्त
सेंद्रा जोरिया के समीप दो आउटसोर्सिंग कंपनियां हिलटॉप राइज प्राइवेट लिमिटेड और रामअवतार कोयला खनन कर रही हैं. जोरिया के मार्ग पर कई ऐसे स्थान हैं, जिसे कंपनियों ने ओबी से भर दिये हैं. जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो आउटसोर्सिग कंपनी ने जोरिया के पानी की निकासी के लिए एक ड्रेन बनाना शुरू कर दिया. कार्य-स्थल के नजदीकी इलाके में जोरिया की चौड़ाई में कमी आयी है.
जोरिया को डायवर्ट करने की योजना
बीसीसीएल के सूत्र बताते हैं कि कंपनी ने जोरिया को डायवर्ट करने की योजना बना रखी है. हालांकि अभी इस पर काम शुरू नहीं हुआ है. बताया जाता है कि आउटसोर्सिग कंपनी ने जोरिया का पानी निकालने के लिए ओबी काट कर नाली निकाली है. कार्य-स्थल से आगे जहां छठ घाट है, वहां जोरिया चौड़ी है. फिलहाल यह बरसाती पानी से भरी हुई है, लेकिन हर तरफ जलकुंभी का राज है. बुजुर्ग बताते हैं कि करीब ढाई दशक पूर्व जोरिया अपने रंग में बहती थी. लेकिन जबसे आउटसोर्सिंग कंपनी आयी है, जोरिया के बहाव पर असर पड़ा है. अब खदान से निकलने वाला पानी ही इस जोरिया में पहुंचता है. इससे जोरिया अब दम तोड़ती जा रही है.
जीएम ने जांच कराने की कही बात
शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता के चलते जोरिया की सफाई नहीं हाेती. नतीजा जलकुंभी ने जोरिया को पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है. कुल मिलाकर जोरिया इन दिनों हरे-भरे मैदान जैसी नजर आ रही हैं. सिजुआ महाप्रबंधक जीतेंद्र मल्लिक ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि जोरिया को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. फिलहाल ड्रेन बनायी जा रही है, ताकि जोरिया में पानी जाता रहे. मामले की जांच कराकर जनहित में निर्णय लिया जायेगा. जोरिया का अस्तित्व खत्म नहीं होने दिया जायेगा.