पटना: अपराध अनुसंधान विभाग एवं कमजोर वर्ग प्रभाग के एडीजीपी अनिल किशोर यादव ने नवादा के टाउन थाने की हाजत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पुलिस पदाधिकारियों को वर्दी के साथ बंद करने के मामले में नवादा के एसपी डॉ. गौरव मंगला के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है. बुधवार को जारी इस आदेश में आइजी गया को सात दिनों में आदेश पर अमल कराकर पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपने को कहा है. अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी को भी इसकी सूचना भेजी गयी है.
गौरतलब है कि नवादा जिले के एसपी डॉ गौरव मंगला आठ सितंबर की रात करीब नौ बजे नगर थाना में केस की समीक्षा करने पहुंचे थे. लापरवाही और मामले का समय से निबटारा नहीं किये जाने को लेकर एसपी ने मौके पर मौजूद दो सब इंस्पेक्टर और तीन एएसआइ को वहां के हाजत में बावर्दी बंद करा दिया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसको लेकर बिहार पुलिस एसोसिएशन के महामंत्री कपिलेश्वर पासवान मंगलवार को एडीजीपी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव से मिले थे.
एडीजीपी कमजोर वर्ग को प्रमाण के रूप में नवादा के एससीएसटी वर्ग से आने वाले सहायक अपर निरीक्षक शत्रुघ्न पासवान, रामेश्वर उरांव, संतोष कुमार पासवान, दारोगा राम परीखा सिंह और दारोगा संजय कुमार सिंह के एससीएसटी आयोग में दिये गये आवेदन के साथ हाजत की वीडियो फुटेज, सीसीटीवी की रिकार्डिंग और घटना के समय की वॉयस रिकार्डिंग आदि प्रमाण सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी.
अनिल किशोर यादव ने इस मामले को विरूद्ध अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत गंभीर माना है. आइपीसी की धारा-341/342 एवं 3(2)(वीए) के तहत दंडनीय अपराध माना है. एडीजी अनिल किशोर यादव ने मगध रेंज के आइजी को बिहार पुलिस एसोसिएशन द्वारा समर्पित अभिलेखों को संलग्न करते हुए लिखा है कि संलग्न अभिलेख जाली नहीं है, तो सुसंगत धाराओं के तहत अविलंब प्राथमिकी दर्ज कराते हुए सात कार्यदिवस के भीतर अनुपालन प्रतिवेदन मेल से भेजें.
एसपी नवादा ने एसएचओ को पहले ही काट देने और हाजत में बंद कर देने की धमकी दे दी थी. एडीजीपी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव को जो प्रमाण सौंपे गये हैं, उसमें एसपी नवादा की कही गयी बातें भी शामिल हैं. उनकी कार्यप्रणाली कठघरे में आ गयी है. एसपी ने कहा था कि सारे एसएचओ कान खोलकर सुन लें. संतोषजनक अरेस्टिंग नहीं हुई तो काट दूंगा. करियर हमेशा के लिए बर्बाद कर दूंगा.