वायरल संक्रमण में तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम और गले में दर्द की समस्या हो रही है. राजधानी के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व गार्डिनर रोड अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों में संदिग्ध बुखार की जांच कराने आ रहे मरीजों में से करीब 15-20% में डेंगू के लक्षण मिल रहे हैं. वहीं, शुरुआत में जब पारासिटामोल टैबलेट से बुखार नहीं उतर रहा है, तो दो तरह की दवाएं देनी पड़ रही हैं.
मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. घर में किसी एक को वायरल संक्रमण होने पर अन्य लोग भी चपेट में आ रहे हैं. बच्चों को तेज बुखार आ रहा है. पारासिटामोल से बुखार न उतरने पर मैफेनेमिक एसिड का कॉम्बिनेशन देना पड़ रहा है. डेंगू के लक्षण मिलने के सात से आठ दिन बाद मरीज ठीक हो रहे हैं.
गर्दनीबाग अस्पताल व पीएमसीएच के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओपीडी में भी बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या होने पर गर्भवती परामर्श लेने के लिए ओपीडी में पहुंच रही हैं. कुछ गर्भवती में डेंगू मिल रहा है़ स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक कुल 218 डेंगू पॉजिटिव मरीजों में 17 गर्भवती हैं. हालांकि, अच्छी बात यह है कि इनमें सात महिलाएं बीमारी को मात देकर स्वस्थ हो गयी हैं.
पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता राय ने कहा कि गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को डेंगू से खास तौर पर बचाव करना चाहिए. क्योंकि अगर बच्चे को जन्म देते समय मां डेंगू से पीड़ित है, तो बच्चा भी संक्रमित हो सकता है. वहीं, संक्रमित मां का दूध पीने से भी बच्चा डेंगू का शिकार बन सकता है.
डेंगू एक वायरस है, जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. यह मच्छर ज्यादातर दिन में काटता है. ज्यादातर यह मच्छर जमा या ठहरे हुए पानी में अंडे देता है, इसलिए अपने घर में कूलर, पुराने टायर, टूटे डिब्बों आदि कहीं पर भी पानी जमा न होने दें. इसके अलावा साफ पानी को भी ढक कर रखें.
-
तेज बुखार, खांसी
-
सांस लेने में तकलीफ होना
-
मुंह, होंठ और जीभ का सूखना
-
सुस्ती, कमजोरी और चिड़चिड़ापन
-
हाथ-पैर का ठंडा होना
-
बच्चे का सामान्य से अधिक रोना
शरीर में खून को रोके रखने के लिए प्लेटलेट्स की जरूरत होती है. लेकिन, डेंगू अगर गंभीर स्थिति में पहुंच जाये, तो प्लेटलेट्स तेजी से घटना शुरू हो जाता है. एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 1.40 लाख से लेकर चार लाख तक प्लेटलेट्स होते हैं. अगर ये 20 हजार के आसपास पहुंच जाते हैं, तो ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. साथ ही प्लेटलेट्स भी चढ़ाना पड़ सकता है. डेंगू अगर खतरनाक हो जाये तो मल्टी ऑर्गन फेल्योर का जोखिम भी बढ़ जाता है.
Also Read: Bihar Village Of IITians : पटवा टोली के 19 छात्र-छात्राओं ने IIT JEE Advance में लहराया परचम
-
खिड़कियों और दरवाजों को नेट से कवर कराएं, ताकि घर में मच्छर प्रवेश न कर पाएं.
-
मच्छरों से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
-
शरीर के बचाव के लिए फुल बांह के कपड़े पहनें.
-
घर के अंदर और आसपास साफ-सफाई का खयाल रखें, पानी इकट्ठा न होने दें.
-
बीमार पड़ने पर विशेषज्ञ को दिखाएं और सलाह से ही कोई दवा लें.