बेतला-गारू मार्ग पर टिकुलिया पत्थर कभी लूटपाट के लिए काफी मशहूर था, लेकिन आज लोग बेखौफ यात्रा कर रहे हैं. टिकुलिया पत्थर सड़क लूट का चश्मदीद गवाह रहा है. 15 वर्ष तक यह वैसा स्थल रहा, जहां घात लगाये हथियारबंद सड़क लुटेरों द्वारा दिनदहाड़े राहगीरों को लूट लिया जाता था. औसतन इस मार्ग पर रोजाना एक लाख रुपये की लूट हो जाती थी.
पहले डिजिटल पेमेंट नहीं होने के कारण अक्सर गारु- महुआडांड़ के व्यापारी मेदिनीनगर आने के क्रम में अथवा मेदिनीनगर से रुपये लेकर इन इलाकों में जानेवाले लोग लूटपाट के शिकार हो जाते थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस मार्ग पर टिकुलिया पत्थर के आसपास के इलाके में एक भी लूटकांड की घटना नहीं हुई है, जिसे लोग पुलिस की बड़ी उपलब्धि मानते हैं.
पुलिस एस्कॉर्ट में चलायी जाती थी यात्री बस: पलामू टाइगर रिजर्व के घने जंगल व यहां की भौगोलिक परिस्थिति ही कुछ ऐसी है कि अपराधी घटना को अंजाम देने के बाद भागने में सफल हो जाते थे. हथियार के बल पर अपराधी बाइक सवारों के अलावा बस अथवा अन्य चार पहिया वाहन तक को रोक कर आराम से लूटते थे.
लगातार लूटपाट की घटना होने से और नक्सली गतिविधियों के कारण बेतला-नेतरहाट मार्ग से पर्यटकों के आने का सिलसिला थम गया था. यहीं कारण रहा कि यात्री बसों के अलावा एक साथ दर्जनों वाहन को पुलिस एस्कॉर्ट कर बेतला से गारू तक लेकर ले जाया जाता था.
पुलिस पिकेट बनने के बाद भयभीत हो गये अपराधी: सड़क लूट व नक्सली गतिविधियां इस मार्ग के अलावा पूरे पीटीआर के जंगलों में खत्म हो, इसके लिए बेतला में वरीय पुलिस पदाधिकारियों की बैठक हुई. इसके बाद चिंतन मंथन कर घने जंगलों में भी पुलिस पिकेट का निर्माण कराया गया. बेतला के अलावा अखरा, केड, लाभर, मुर्गीडीह, मोरवाई व मंडल तक पिकेट का निर्माण कराया गया.
अपराधियों के हर मंसूबे को विफल करने में पुलिस सक्षम: बरवाडीह थाना प्रभारी श्रीनिवास सिंह ने कहा कि अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस पूरी तरह से चौकस है. दिन-रात पेट्रोलिंग की जाती है. पूरे इलाके के अलावा बेतला व केचकी जैसे टूरिस्ट पैलेस पर पुलिस की विशेष नजर होती है. पब्लिक के सहयोग से पुलिस अपराधियों के हर मंसूबे को विफल करने में सक्षम है.
रिपोर्ट- संतोष कुमार