बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पीजी सत्र 2019-21 के 100 से अधिक छात्रों को फिर से प्रथम सेमेस्टर में नामांकन लेना होगा. परीक्षा बोर्ड ने इन्हें मार्क देकर उत्तीर्ण करने के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया है. इस कारण इन सभीका तीन साल बर्बाद हो गया है. हालांकि इनके लिए छूट दी गयी है कि वर्तमान में चल रहे सत्र 2021-23 की नामांकन प्रक्रिया में बगैर आवेदन के ये शामिल हो सकते हैं. आवेदन के साथ ही आवेदन शुल्क भी माफ कर दिया जायेगा, जबकि अन्य शुल्क जमा कराना होगा.
दूसरी बार प्रमोटेड और फेल होने के कारण इन छात्रों को ग्रेस मार्क या विशेष परीक्षा का लाभ नहीं मिल सकेगा. सोमवार को दर्जनों छात्र-छात्राओं ने परीक्षा नियंत्रक डॉ संजय कुमार से मिलकर अपनी परेशानी बतायी. छात्र-छात्राओं ने कहा कि उन्हें एक-दो नंबर कम दिया गया है, जिसके कारण वे फेल हो गये हैं. छात्रों ने मूल्यांकन पर भी सवाल उठाया. कहा कि पेपर-3 में ही सभी फेल हुए हैं. ग्रेस मार्क देकर पास कराने का आग्रह करते हुए कहा कि उनका तीन वर्ष का समय बर्बाद हो जायेगा.
परीक्षा नियंत्रक डॉ संजय कुमार ने कहा कि इन छात्रों के लिए शनिवार को परीक्षा बोर्ड की बैठक बुलायी गयी थी, लेकिन नियम का हवाला देकर सदस्यों ने इस पर स्वीकृति नहीं दी. सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि इन छात्रों को यह छूट दी जायेगी कि वे दोबारा नये सत्र में नामांकन लेंगे, तो आवेदन नहीं देना पड़ेगा. परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि संबंधित विभाग और काॅलेजाें को निर्देश दिया जा रहा है कि वे सीटों की उपलब्धता के अनुसार सत्र 2019-21 के फेल और प्रमोटेड छात्रों का नामांकन सत्र 2021-23 में लें.
छात्र-छात्राओं ने नये सत्र में नामांकन की बात पर फीस माफ करने की मांग की. परीक्षा नियंत्रक ने फिर से नये सत्र में नामांकन और फीस देने की बात कही, तो छात्र-छात्राओं का कहना था कि विश्वविद्यालय की गलत नीतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. सभी ने नामांकन शुल्क माफ करने की मांग की. परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा बोर्ड के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि आवेदन शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन नामांकन के लिए उनसे फीस ली जायेगी.
परीक्षा नियंत्रक डॉ संजय कुमार ने छात्रों को सलाह दी कि नामांकन के समय ही पूरा नियम जान लेना चाहिए. दरअसल, छात्रों ने मांग पूरी नहीं होने पर मार्किंग पैटर्न पर सवाल उठाना शुरू किया. इस पर परीक्षा नियंत्रक पीजी के सिलेबस और पेपर का नाम पूछने लगे. कोई उत्तर नहीं दे सका, तो सुझाव दिया कि पढ़ाई करें. छात्रों का कहना था कि अधिकतम दो ही बार मौका मिलेगा, इसकी जानकारी नहीं थी.