Vishwakarma Puja 2022: भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. यह दिन हिन्दुओं के लिए बेहद ख़ास माना गया है. इस दिन के बारे में लोगों के बीच में ऐसी मान्यता है कि, इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्म लिया था.
विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर शनिवार के दिन सुबह 7.38 मिनट से शुभ योग है उस समय पूजा करें लाभ मिलेगा. इसके बाद 11.57 मिनट मिनट से 13. 38 तक का समय बेहद ही शुभ रहेगा.इस दिन सिद्धि योग रहेगा.
इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं. 17 सितंबर को सुबह से लेकर रात तक वृद्धि योग है. इसके अलावा अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है, वहीं द्विपुष्कर योग दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक है.
विश्वकर्मा जी का जन्म कब हुआ और कैसे हुआ इस बात को लेकर अलग-अलग कहानियां और तथ्य पेश किए जाते हैं.एक कहानी के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म थे.जिनकी पत्नी का नाम वस्तु था.वस्तु के सातवें पुत्र थे वास्तु, जो शिल्प शास्त्र के आदी थे.उन्हीं वासुदेव की अंगीरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था.
इस दिन स्नानादि करने के बाद अच्छे कपड़े पहनकर भगवान विश्कर्मा की मूर्ति या तस्वीर सामने बैठ जाएं. भगवान विश्वकर्मा की पूजा की पूजा आरती करने के बाद पूजा सामग्री जैसे- अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप दीप और रक्षासूत्र आदि से विधिवत पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी हथियारों को हल्दी चावल लगाएं. इसके बाद कलश को हल्दी चावल व रक्षासूत्र चढ़ाएं. इसके बाद पूजा मंत्रों का उच्चारण करें. पूजा संपन्न होने के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों या पड़ोस के लोगों को प्रसाद वितरण करें. मान्यता है कि हर साल मशीनों और औजारों की पूजा करने से वे जल्दी खराब नहीं होते. मशीने अच्छा चलती हैं क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा उन पर बनी रहती है.