गया. 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन फल्गु नदी में पिंडदान व तर्पण का विधान है. इस विधान के तहत शनिवार को असम में रह रहे 37 नेपालियों ने सामूहिक पिंडदान किया. इन श्रद्धालुओं के पुरोहित विनय लाल टाटक ने बताया कि पिंडदान कर रहे सभी नेपाली असम के सोनीपुर जिला के रहने वाले हैं जो एक साथ निजी वाहन से गया जी पहुंचे वह अपने पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त सामूहिक पिंडदान का कर्मकांड पूरा किया.
इधर, बिहार के वैशाली जिला के घोरघाटी गांव के रहने वाले नंद किशोर राय अपने पूरे परिवार के साथ गयाजी आकर अपने पितरों को पिंडदान किया. देवघाट पर पिंडदान का कर्मकांड कर रहे इस परिवार के सभी सदस्यों की आंखें पितरों की याद आने से नम हो गयी थी. श्री राय के साथ चार की संख्या में आयी महिलाएं भी पिंडदान का कर्मकांड रुदन भरी आंखों से कर रही थी.
पितृपक्ष मेले में परिवार के साथ ओड़िशा से आयी महिलाएं जौ के आटे से अपने पितरों के लिए पिंड बनायीं. फल्गु नदी के देवघाट पर आठ-10 की संख्या में ओड़िशा से आयी महिलाएं अपने कुल पुरोहित के निर्देश पर पिंड बनाने में जुट गयी. इस समूह की एक महिला रानी देवी ने बताया कि परिवार के पुरुष पिंडदान का कर्मकांड करने से पहले फल्गु में स्नान के लिए गये. समय की बचत को देखते हुए कुल पुरोहित के निर्देश पर सभी महिलाएं अपने पितरों के लिए पिंड बनाने में जुट गयी.
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पितृपक्ष मेले में अपने पितरों को पिंडदान के निमित्त बिहार के कटिहार से आयी एक महिला को उनके पितर याद आने पर वह काफी विचलित हो गयी. फल्गु नदी में स्नान के दौरान उनके द्वारा की जा रही अलग तरह की एक्टिविटी उनके परिजनों को कुछ देर के लिए परेशान रखा. हालांकि परिजनों के काफी प्रयास के बाद उक्त महिला की स्थिति सामान्य हुई. यह महिला अपने परिजनों के साथ अपने माता-पिता का पिंडदान करने के निमित्त गयाजी आयी है. देवघाट पर पिंडदान से पहले जब वह फल्गु में स्नान करने गयी तब उनकी एक्टिविटी सामान्य से अलग देख परिजन भौचक रह गये.