King Charles III: राज्यारोहण परिषद के एक ऐतिहासिक समारोह में ब्रिटेन के महाराज घोषित किये जाने के बाद चार्ल्स तृतीय ने अपनी मां एवं दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया. ब्रिटेन के नए महाराज के तौर पर किंग चार्ल्स तृतीय के नाम की घोषणा के ठीक बाद उन्होंने अपने एक भाषण में कहा कि वो अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हैं. बता दें कि ब्रिटेन के इतिहास में पहली बार इस समारोह का टेलीविजन पर प्रसारण किया गया.
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार किंग चार्ल्स ने कहा कि उनकी मां एवं दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने आजीवन प्रेम और निस्वार्थ सेवा का एक उदाहरण दिया. जिसका उन्होंने अनुकरण करने का वादा किया था. चार्ल्स तृतीय ने कहा कि मेरी मां का शासन समर्पण के साथ अद्वितीय था. उन्होंने कहा कि इन जिम्मेदारियों को उठाते हुए मैं संवैधानिक सरकार को बरकरार रखने के उनके प्रेरक उदाहरण का अनुसरण करूंगा तथा इन द्वीपों के लोगों और राष्ट्रमंडल देशों तथा विश्व भर में फैले क्षेत्रों में शांति, सौहार्द्र एवं समृद्धि के लिए काम करूंगा.
चार्ल्स तृतीय की मां एवं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का बृहस्पतिवार को निधन हो जाने के बाद पूर्व प्रिंस ऑफ वेल्स की ताजपोशी की गई है. शनिवार का समारोह लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में ताजपोशी की औपचारिक घोषणा करने और उनके शपथ ग्रहण के लिए आयोजित किया गया. चार्ल्स तृतीय अपनी पत्नी क्वीन कॉन्सर्ट कैमिला तथा अपने बेटे एवं उत्तराधिकारी प्रिंस विलियम के साथ समारोह में शरीक हुए. विलियम नये प्रिंस ऑफ वेल्स हैं. चार्ल्स ने औपचारिक घोषणा दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये. चार्ल्स ने ब्रिटेन में शाही खर्च को पूरा करने वाले अनुदान के एवज में सभी राजस्व और क्राउन एस्टेट देश को सुपुर्द करने की परंपरा की पुष्टि की. इससे पहले चार्ल्स तृतीय ने शुक्रवार शाम टेलीविजन पर प्रसारित अपने प्रथम संबोधन में कहा कि महारानी ने खुद जिस समर्पण के साथ काम किया मैं भी अब संकल्प लेता हूं कि शेष समय में ईश्वर मुझे संवैधानिक सिद्धांतों को हमारे राष्ट्र के हित में कायम रखने की शक्ति दें.
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस और उनकी सरकार के वरिष्ठ सदस्यों ने हाउस ऑफ कॉमन्स में महाराज चार्ल्स तृतीय के प्रति वफादारी की शपथ ली. सबसे पहले, हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष लिंडसे हॉयले ने संकल्प लिया कि वह महामहिम महाराज चार्ल्स और उनके उत्तराधिकारियों के प्रति सच्ची निष्ठा रखेंगे. इसके बाद सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसदों और प्रधानमंत्री ने महाराज के प्रति वफादारी की शपथ ली. चुने जाने के बाद सभी सांसदों को राजपरिवार के सबसे प्रमुख व्यक्ति के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होती है.
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