Agra News: डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय बीएएमएस परीक्षा की कॉपियां बदलने का मामला इस समय चर्चाओं में है जिसके लिए एसटीएफ ने अपनी जांच भी शुरू कर दी है. लेकिन विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी विश्वविद्यालय में कई बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं. विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा घोटाला 2005 का B.Ed घोटाला है. जिसमें तमाम लोगो ने फर्जी B.Ed की डिग्री लेकर सरकारी शिक्षक की नौकरी भी पा ली. आइए हम आपको बताते हैं विश्वविद्यालय यह कुछ कुलपतियों के सामने आने वाले भ्रष्टाचार के मामलों को.
विश्वविद्यालय में शुरुआत हम 2005 से करते हैं. वैसे तो विश्वविद्यालय बहुत साल पहले से ही अस्तित्व में है. लेकिन 2005 में विश्वविद्यालय का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया था. विगत वर्ष में करीब 812 छात्रों ने फर्जी डिग्री लगाकर सरकारी शिक्षक की नौकरी पा ली थी. लेकिन मामला खुलने पर शासन के निर्देश पर इन सभी शिक्षकों पर एफ आई आर दर्ज की गई. जब यह मामला खुला उस समय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरविंद दीक्षित थे.
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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरविंद दीक्षित पर भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे जिसमें आरोपों को गंभीर पाते हुए विजिलेंस की गोपनीय जांच शुरू की गई. अरविंद दीक्षित के समय में उन पर छात्रों के परिणाम लटकाने का भी आरोप लगा था. पूर्व कुलपति डॉ अरविंद कुमार दीक्षित पर आरोप लगे कि उन्होंने 145 करोड रुपए की निर्माण कराए लेकिन उनकी कोई भी आवश्यकता नहीं थी. और यह सभी निर्माण उन्होंने 30% कमीशन के लालच में कराए. वहीं दूसरी तरफ डॉ दीक्षित ने संस्कृति भवन का भी निर्माण कराया जिसमें तमाम अनियमितता बरती गई. पहला कि संस्कृति भवन विश्वविद्यालय की जमीन पर नहीं बना, दूसरा इसका एडीए से नक्शा भी पास नहीं है, इसके बावजूद संस्कृति भवन में 50 करोड़ की लागत लगा दी गई.
इसके अलावा अरविंद दीक्षित पर अपने रिश्तेदारों को नौकरी देने, परीक्षाओं में पैसे देकर केंद्र बनाए जाने, माफिया से वसूली कर अन्नपूर्णा कैंटीन का निर्माण कराने व कई अन्य भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कार्यवाहक कुलपति आलोक राय और वर्तमान में विश्वविद्यालय के प्रभारी विनय पाठक से पहले विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर अशोक मित्तल पर उनके कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताओं और तमाम कार्यों में अनदेखी व मनमाफिक नियुक्तियाँ करने के आरोप लगे. जिसके बाद उनके खिलाफ कुलाधिपति कार्यालय से जांच पड़ताल और पूछताछ शुरू हुई जिसमें कुलपति कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए. जिसके बाद 10 जनवरी 2022 को प्रोफेसर अशोक मित्तल ने कुलपति के पद से इस्तीफा दे दिया.
पूर्व कुलपति प्रो अशोक मित्तल के इस्तीफा देने के बाद शासन से लखनऊ विस्वविद्यालय के कुलपति डॉ आलोक राय को प्रभारी कुलपति आगरा विश्वविद्यालय बना दिया गया. वहीं करीब 6 महीने बाद कानपुर के छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय पाठक को प्रभारी कुलपति आगरा विश्वविद्यालय बना दिया गया है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर में इन बड़े घोटालों के अलावा तमाम ऐसी अनियमितताएं हैं जिनसे रोजाना छात्र-छात्राओं को रूबरू होना पड़ता है.
कभी किसी की डिग्री समय से नहीं मिलती तो कभी किसी की मार्कशीट में कोई ना कोई कमी रह जाती है. यहां तक कि विश्वविद्यालय में बनाई गई कई मार्कशीट फर्जी तक पाई गई है. जिनकी भी कई बार जांच हुई है लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय में हुए घोटालों में जिन कुलपतियों पर जांच चल रही है. उनमें से सिर्फ आलोक मित्तल ने इस्तीफा दिया है बाकी सभी जांचों में मामला अभी पेंडिंग में है.