Jharkhand News : (संजीव झा) : धनबाद जिले में जमीन अधिग्रहण हुआ वर्ष 1981 में. बलियापुर अंचल के 16 मौजा में 1759.14 एकड़ जमीन ली गयी. बदले में 978 रैयतों को नौकरी व मुआवजा देने का समझौता हुआ था, लेकिन आज तक 40 फीसदी रैयतों को भी मुआवजा या नियोजन नहीं मिला. आज भी यहां के लोग संघर्ष ही कर रहे हैं. जर्मनी कंपनी को बनाना था प्रोजेक्ट. वर्ष 1981 में बीसीसीएल एवं बलियापुर के 16 मौजा के रैयतों के बीच एकरारनामा हुआ था. कहा गया था कि मुकुंदा ओपन कास्ट में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही तत्कालीन सरकारी दर से मुआवजा देने की भी बात हुई थी. ग्रामीणों के अनुसार कुल 978 लोगों को नौकरी देने की बात थी. इसमें से अगस्त 2022 तक सिर्फ 309 रैयतों को ही नियोजन मिला, जबकि मुआवजा की दर उस वक्त सिर्फ 10 से 14 रुपये प्रति डिसमिल थी. राशि कम होने के चलते विरोध स्वरूप भी बहुत सारे रैयतों ने मुआवजा नहीं लिया था. अधिकतर रैयत आज भी नियोजन की ही मांग कर रहे हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि मुकुंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट आज तक चालू नहीं हो पाया. अब तो यह प्रोजेक्ट रद्द भी हो गया है. इस प्रोजेक्ट को जर्मनी की एक कंपनी के सहयोग से लगाया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से जर्मनी कंपनी पीछे हट गयी. पूरा प्रोजेक्ट ही ठंडे बस्ते में चला गया. बलियापुर अंचल की विभिन्न पंचायतों में मुकुंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित 1759.14 एकड़ जमीन में से लगभग 952.49 एकड़ भूमि बेलगड़िया टाउनशिप के लिए झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) को ट्रांसफर कर दिया गया. यहां भू-धंसान प्रभावितों के लिए आवास बनाये गये हैं. अब भी सैकड़ों आवास का निर्माण चल रहा है. बेलगड़िया मौजा की लगभग 850 एकड़ भूमि जेआरडीए को ट्रांसफर की गयी है. इसमें से 55 एकड़ भूमि आदिवासियों की है. यह सभी जमीन आदिवासियों की थी.
ग्रामीणों का कहना है कि एक भी आदिवासी को बीसीसीएल की तरफ से नौकरी नहीं दी गयी, जबकि उनलोगों की जमीन भी चली गयी. मुकुंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए बलियापुर अंचल के पलानी, विजयडीह, गोलमारा, निपनिया, सेवईगढ़ा, ढोकरा, निचितपुर, आमझर, परघा, बलेगड़िया, करमाटांड़, अलकडीहा, चांदकुइयां, सापटा सहित 16 मौजा की जमीन अधिग्रहित की गयी. जमीन वापसी की मांग कर रहे रैयत मुकुंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए जिन रैयतों की जमीन की गयी है. उनमें से अधिकांश रैयत अब भू-वापसी की मांग कर रहे हैं. भू-अर्जन अधिनियिम 1984 के तहत अगर किसी जमीन का अधिग्रहण किसी खास प्रोजेक्ट के लिए होता हो तथा अगर वह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाये तो जमीन वापसी हो सकती है. वर्ष 2012 में तत्कालीन उपायुक्त प्रशांत कुमार की अध्यक्षता में हुई एक त्रिपक्षीय वार्ता में वैसी जमीन जिसका उपयोग नहीं हुआ है कि वापसी पर सहमति बनी थी.
बलियापुर के तत्कालीन अंचलाधिकारी ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के पत्र का हवाला देते मुकुंदा ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए अर्जित भूमि को रैयतों को वापस करने के लिए राजस्व कागजात एवं वंशवाली प्रमाणपत्र देने का निर्देश दिया था, लेकिन यह आज तक पूरी नहीं हो पायी. जमीन वापसी की मांग को लेकर बलियापुर के कई पंचायतों के रैयत लगातार कई माह तक धरना दिये. अर्द्ध नग्न प्रदर्शन तक किया. महिलाएं भी सड़क पर उतर कर आंदोलन करती रही. आज भी रैयत जमीन वापसी के लिए अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि यह जमीन कृषि योग्य है. नियोजन नीति का लाभ नहीं मिला तो कम से कम जमीन वापस दे.