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चतरा के इस प्रखंड में एक भी चिकित्सक नहीं, 65000 आबादी झोलाछाप के भरोसे

कुंदा को प्रखंड का दर्जा मिले 27 वर्ष हो गये, लेकिन यहां के लोगों को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी चिकित्सक नहीं हैं. प्रखंड की आबादी 65 हजार है.

कुंदा को प्रखंड का दर्जा मिले 27 वर्ष हो गये, लेकिन यहां के लोगों को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी चिकित्सक नहीं हैं. प्रखंड की आबादी 65 हजार है. चिकित्सक नहीं रहने से यहां के लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता हैं. केंद्र का संचालन एएनएम व जीएनएम करते हैं. प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित चिकित्सकों की देखरेख में केंद्र चल रहा हैं. केंद्र में मामूली इलाज भी नहीं हो पाता हैं.

किसी तरह की जांच भी नहीं हो पाती है. जिसके कारण यहां के लोग मजबूरन झोलाछाप से अपना इलाज कराते हैं. प्रखंड में पीएचसी के अलावा तीन उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें बनियाडीह, मेदवाडीह व सिकीदाग शामिल हैं. सभी केंद्र एएनएम, जीएनएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के भरोसे चल रहा है. उक्त केंद्रों में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही है.

पर्याप्त मात्रा में दवा भी उपलब्ध नहीं हैं. वर्ष 2018 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने एंबुलेंस व नियमित चिकित्सक देने की बात कही थी, लेकिन आज तक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हुआ. बीमार पड़ने पर लोगों को प्रतापपुर सीएचसी भेजा जाता है. प्रखंड में अधिकतर गरीब तबके के लोग रहते हैं. पैसे के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं. कुछ लोग चतरा, गया जाकर अपना इलाज कराते हैं. थाना क्षेत्र में किसी तरह की मारपीट होने पर इंज्यूरी रिपोर्ट के लिए प्रतापपुर सीएचसी जाना पड़ता है.

एएनएम कराती हैं प्रसव :

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं का एएनएम द्वारा प्रसव कराया जाता है. केंद्र में हर दिन दो से तीन महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. चिकित्सक नहीं रहने से प्रसव कराने वाली महिलाओं को हमेशा डर बना रहता है. कई लोग प्रसव निजी क्लिनिक में कराते हैं.

मांग की गयी, लेकिन ध्यान नहीं दिया

कुंदा पंचायत के मुखिया मनोज साहू ने कहा कि कुंदा को प्रखंड बनने के बाद आजतक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है. कभी भवन, तो कभी संसाधन की कमी के कारण लोगों को समुचित इलाज नहीं हो पाता हैं. कई बार सांसद, विधायक व अन्य पदाधिकारियों से मांग की गयी, लेकिन किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

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