Bengaluru Flood : बेंगलुरु में आयी बाढ़ ने जनजीवन अस्त व्यस्त करके रख दिया है. उत्तरी बेंगलुरु के ‘एप्सिलॉन’ इलाके में रहने वाले विभिन्न कंपनियों के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें अपने इलाके में बाढ़ की ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. दो दिनों की भारी बारिश के कारण आयी बाढ़ के चलते विभिन्न कंपनियों के कई शीर्ष अधिकारी अपने ही घरों में फंसे नजर आये.
बेंगलुरु में आयी बाढ़ की वजह से शहर के कई हिस्सों, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी गलियारे और मुख्य सड़कों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त नजर आया. एप्सिलॉन में एक बंगले की शुरुआती कीमत कम से कम 10 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. हालांकि, नागवार के पास स्थित यह इलाका बाढ़ के दौरान नागवार झील का विस्तार प्रतीत होने लगा. महंगी कारें पानी में तैरने लगीं, घरेलू सामान बह गए और मान्यता टेकपार्क के पास स्थित इस इलाके के निवासी ट्रैक्टर और नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों पर चले गये.
एक निर्माण स्टार्टअप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विनोद कौशिक ने अपना घर खाली कर दिया और अपने परिवार के साथ ट्रैक्टर की मदद से सुरक्षित स्थान पर चले गये. घर खाली करने वालों में एक अन्य निकासी मीना गिरिसाबल्ला शामिल थीं जो पर्पलफ्रंट टेक्नोलॉजीज की संस्थापक और सीईओ हैं. उन्होंने अफसोस जताया कि बाढ़ का पानी उनके घरों में भर गया. यह दिक्कत एप्सिलॉन इलाके तक ही सीमित नहीं थी. कई अन्य इलाकों में भी घरों में पानी भर गया, कारें और वाहन जलमग्न हो गए एवं लोगों को अपना सामान छोड़कर भागना पड़ा.
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बेंगलुरु में आयी बाढ़ से होटल कमरों की मांग में तेजी आयी है. घरों में पानी भर जाने से लोगों ने बचाव के लिए होटल का रुख लिया है जिससे कमरों के किराये बढ़ गये हैं. उद्योग की कंपनियों ने कहा कि शहर के ज्यादातर होटलों में पहले से ही बहुत अधिक भीड़ थी. होटलों की बढ़ी कीमतें केवल बाढ़ की वजह से नहीं हैं. यात्रा एवं आतिथ्य क्षेत्र के प्रौद्योगिकी मंच ओयो के प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान में बेंगलुरु में ओयो की औसत कीमत 1,000 रुपये से थोड़ा ज्यादा है, जिससे शहर में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए यह एक किफायती और आसानी से रहने का बेहतर विकल्प बन गया है.