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World Literacy Day: जिले में 38% महिलाएं व 22% पुरुष निरक्षर, जाने सरकारी शिक्षा योजनाओं की स्थिति

फैमिली हेल्थ सर्वे की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 63 प्रतिशत महिलाएं और 72 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे. कोरोना काल में साक्षरता कैंप नहीं चलने के कारण महिलाओं और पुरुषों को साक्षर नहीं किया गया.

Muzaffarpur की 37 प्रतिशत महिलाएं और 22 प्रतिशत पुरुष निरक्षर हैं. फैमिली हेल्थ सर्वे की 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 63 प्रतिशत महिलाएं और 72 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे. कोरोना काल में साक्षरता कैंप नहीं चलने के कारण महिलाओं और पुरुषों को साक्षर नहीं किया गया. हालांकि इसके बाद टोला स्तर पर कैंप लगा कर साक्षरता अभियान चलाया गया. इस वर्ष जून में समर कैंप लगा कर टोला सेवक और तालिमी मरकज ने निरक्षर पुरुषों और महिलाओं को साक्षर किया. केंद्र पर महिलाओं व पुरुषों को बुलाकर लाया गया और उन्हें अक्षर ज्ञान कराया गया. साक्षरता अभियान के लिए बने केंद्रों पर पढ़ने आने वाली महिलाओं व पुरुषों के लिए कॉपी व पेंसिल भी दिये गये. आंकड़ों को देखें, तो जिले में साक्षरता दर की स्थिति अच्छी नहीं है.

बुनियादी शिक्षा से बढ़ेगी साक्षरता दर

नयी शिक्षा नीति के तहत देश में बुनियादी शिक्षा शुरू हो गयी है. शिक्षा विभाग ने पढ़ना-लिखना अभियान शुरू किया है. इसमें 2025 तक सभी असाक्षर वयस्कों को इस योजना से जोड़ कर साक्षर बनाने का प्रयास किया जायेगा. इसमें निरक्षर लोगों को बुनियादी शिक्षा दी जायेगी, जिससे वे समाचार पत्र का शीर्षक पढ़ने, यातायात चिह्न समझने, साधारण गणना तथा दो अंकों का जोड़-घटाव, गुणा-भाग करना समझ जाएंगे. 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र, असाक्षर महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अल्पसंख्यक व वंचित कमजोर तबके के लोगों को इस अभियान से जोड़ने की पहल की जा रही है. असाक्षरों की पहचान एवं उन्हें बुनियादी साक्षरता प्रदान करने के कार्य में पंचायती राज व्यवस्था, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, जिला परिषद, प्रखंड स्तरीय समिति का सहयोग लिया जायेगा.

माध्यमिक शिक्षा की स्थिति भी ठीक नहीं

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मुजफ्फरपुर में उच्च प्राथमिक स्तर यानी मध्य विद्यालय जाते-जाते 38.8 फीसदी बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं. ड्रॉपआउट वालों में 40.1 प्रतिशत बेटे और 37.3 प्रतिशत बेटियां शामिल हैं. पढ़ाई छोड़ने के कारण ये बच्चे मैट्रिक तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाते. करीब 40 प्रतिशत बच्चों के पढ़ाई छोड़ने की वजह जो भी हो, लेकिन जिले के लिए दुखद है. ऐसे बच्चों की पढ़ाई के लिए जिला जिला स्तर सकारात्मक प्रयास नहीं किया जा रहा है.

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