बिहार में नगरपालिका आम चुनाव की अधिसूचना जारी होने में अब चंद दिन शेष रह गये हैं. राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों को लेकर दिशा निर्देश जारी किया है जिसमें किन-किन लोगों को चुनाव नहीं लड़ना है. राज्य में स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में काम करने वाली आंगनबाड़ी सेविकाओं को नगरपालिका चुनाव लड़ने की मनाही है. आंगनबाड़ी सेविका सिर्फ चुनाव ही नहीं लड़ सकती बल्कि वे किसी प्रत्याशी का प्रस्तावक या समर्थक भी नहीं बन सकती हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों को भेज दिशा निर्देश में स्पष्ट किया है कि नगरपालिका चुनाव नहीं लड़ने वालों में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका, विशेष शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान, विशेष शिक्षा केंद्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशक, नगरपालिका पंचायत के अधीन मानदेय या अनुबंध पर कार्यरत शिक्षा मित्र, न्याय मित्र, विकास मित्र व अन्य कर्मी, पंचायत के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत दलपति, केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत: या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत, पदस्थापित, प्रति नियुक्त, शिक्षक, प्रोफेसर, शिक्षकेतर कर्मचारी, होमगार्ड, सरकारी वकील (जीपी), लोक अभियोजक (पीपी) नगरपालिका चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इसके अलावा ऐसे कर्मी जो केंद्र या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार की सेवा में कार्यरत कर्मी, किसी ऐसे संस्थान में सेवा रत हो जिसे केंद्र या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार से सहायता मिलती हो और नगरपालिका के अधीन वेतन भोगी या लाभ का पद धारण करने वाले कर्मी भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी डीएम को कहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर नगरपालिका चुनाव में भी जिन बूथों पर अल्पसंख्यक महिलाओं की तादाद अधिक होगी, वहां उनकी पहचान के लिए शिक्षिकाओं की तैनाती की जायेगी. इसके लिए प्रावधान के तहत शिक्षिकाओं को चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की घटना होने पर उन्हें मुआवजा भी दिया जायेगा.