Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत बुधवार को हो गई है. तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई 3570 किमी लंबी यह यात्रा पांच महीनों में बारह राज्यों से होकर गुजरेगी और यह श्रीनगर में खत्म होगी. राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इस यात्रा में भाग ले रहे हैं. कांग्रेस की ओर से ऐतिहासिक बताए जा रहे इस सफर को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. इधर, बीजेपी ने कांग्रेस की इस यात्रा को उसका छलावा करार दिया और दावा किया कि यह प्रमुख रूप से परिवार को बचाने का अभियान है.
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीते दिनों एक वीडियो संदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि यह यात्रा इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश में नकारात्मक राजनीति की जा रही है और जनता से जुड़े असली मुद्दों पर चर्चा नहीं की जा रही है. प्रियंका गांधी ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य महंगाई, बेरोजगारी जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है. कांग्रेस का कहना है कि उसकी यह यात्रा राजनीतिक है. लेकिन, इसका मकसद सियासी लाभ लेना नहीं है, बल्कि देश को जोड़ना है. कांग्रेस ने राहुल गांधी समेत 118 ऐसे नेताओं का चुना है जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पूरी यात्रा में उनके साथ चलेंगे. इन लोगों को भारत यात्री नाम दिया गया है.
कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को लेकर इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि दो साल पहले ही तमाम राजनीतिक दलों ने 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि, कांग्रेस की मौजूदा सियासी हालत देखें तो पार्टी नेतृत्व को लेकर अभी भी दुविधा की स्थिति है. एक तरफ पार्टी नए अध्यक्ष का चयन करने के लिए चुनाव की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी का नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश भी की जा रही है. कांग्रेस के कई दिग्गज नेता खुलकर राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जता रहे हैं, तो दूसरी तरफ एक तबका ऐसा है जो कांग्रेस की कमान किसी गैर-गांधी परिवार वाले नेता को सौंपने की वकालत कर रहा है.
अंदरूनी खींचतान के बीच पार्टी की तरफ से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि खुद राहुल गांधी इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं. चर्चा गरम है कि ये कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी को बतौर पीएम उम्मीदवार पेश करने की कोशिश है. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि लोकतंत्र विरोधी ताकतों के खिलाफ उनकी ये यात्रा है. बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा में हर दिन 25 किलोमीटर की पदयात्रा होगी और 150 दिन में 3500 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा. यात्रा के दौरान राज्यों में कई जगहों पर चौपाल और आम सभाएं भी आयोजित की जाएंगी. राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस ने इस यात्रा के बहाने 2024 का रास्ता तय करना शुरू कर दिया है.
बताया जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की री-लॉन्चिंग करने की कोशिश में है. अगर ऐसा है तो कांग्रेस का राहुल गांधी पर ये सबसे बड़ा और आखिरी सियासी दांव भी हो सकता है. क्योंकि, पिछले 10 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और इसका ठीकरा भी राहुल पर फूटा. 2019 के लोकसभा चुनाव की हार पर भी राहुल गांधी के नाम पर लिखी गई. दो दशक से राजनीति में सक्रिय रहने वाले राहुल गांधी चुनावी राजनीति में अब तक कोई बड़ा मैजिक नहीं कर पाए हैं. ऐसे में उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं और कांग्रेस नेता एक-एक कर पार्टी से किनारा कर रहे हैं. सवाल यह भी उठ रहे है कि क्या कांग्रेस इस पदयात्रा के जरिए अपने खोए हुए सियासी जनाधार के साथ-साथ राहुल गांधी को एक मजबूत नेता के तौर पर 2024 के लोकसभा लोकसभा चुनाव से पहले स्थापित कर पाएगी? साथ ही क्या राहुल गांधी इस यात्रा को पूरा करने के साथ ही पार्टी के नेताओं को एकसाथ जोड़ पाने में कामयाब हो पाएंगे?
देश में पहले भी ऐसी कई पदयात्राएं हुईं हैं. इसका बड़ा फायदा भी तभी हुआ है जब इसका स्वरूप आंदोलन का रहा हो. चाहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डांडी यात्रा हो या आडवाणी की रथ यात्रा हो. चंद्रशेखर की देशभर में भारत एकता यात्रा सियासी तौर पर पर काफी सफल रही थी. ऐसे ही राजीव गांधी ने भी देश को जानने और समझने के लिए पदयात्रा की थी. तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए केसीआर ने पदयात्रा की तो आंध्र प्रदेश में राज शेखर रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी ने खुद को सियासी तौर पर स्थापित करने के लिए अलग-अलग समय पर यात्रा निकालीं. इसका नतीजा ये रहा कि वो बाद में मुख्यमंत्री बने.
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इधर, 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के नेताओं से कहा है कि वे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए रखें. बीजेपी की कोशिश हर बूथ पर अपनी स्थिति मजबूत करने की है और इसके मद्देनजर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता केंद्र की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ संपर्क भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में मंत्रियों के एक और ग्रुप को पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के इन निर्वाचन क्षेत्रों के भीतर सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने और राजनीतिक स्थिति का आकलन करने के लिए भेजा गया था. उन्हें संभावित उम्मीदवारों की पहचान करने का भी काम सौंपा गया था. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पार्टी ने इन निर्वाचन क्षेत्रों पर एक विस्तृत खाका तैयार किया है, जिसमें धर्म, जाति, भौगोलिक क्षेत्र, मतदाताओं का झुकाव और इसके पीछे के कारणों की जानकारी शामिल है.
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