भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक द्वारा तैयार, नाक से दिए जाने वाले इंट्रानेजल कोविड टीके का 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सीमित आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी. बता दें कि हैदराबाद की कंपनी ने करीब 4000 स्वयंसेवकों पर इंट्रानेजल टीके का क्लीनिकल परीक्षण की थी. केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंजूरी मिलने पर ट्वीट करते हुए कहा, इस कदम से महामारी के खिलाफ भारत को सामूहिक लड़ाई में और मजबूती मिलेगी.
Big Boost to India's Fight Against COVID-19!
Bharat Biotech's ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 (Chimpanzee Adenovirus Vectored) recombinant nasal vaccine approved by @CDSCO_INDIA_INF for primary immunization against COVID-19 in 18+ age group for restricted use in emergency situation.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 6, 2022
केंद्रीय मंत्री मांडविया ने ट्वीट करते हुए कहा, भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है. भारत बायोटेक के सीएचएडी 36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दी है. उन्होंने कहा कि इस कदम से महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूती मिलेगी.
मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने देश के विज्ञान, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) का उपयोग किया है. उन्होंने कहा, विज्ञान आधारित रुख और सबके प्रयास से हम कोविड-19 को हरा देंगे. कंपनी के सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद की कंपनी ने करीब 4000 स्वयंसेवकों पर इंट्रानेजल टीके का क्लीनिकल परीक्षण किया था, और किसी में दुष्प्रभाव या विपरीत प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है.
उल्लेखनीय है कि कंपनी ने अगस्त महीने में बताया था कि कोविड-19 इंट्रानेजल टीका तीसरे चरण के नियंत्रित चिकित्सकीय परीक्षण में सुरक्षित, वहनीय और प्रतिरोधी क्षमता से युक्त साबित हुआ है. टीका निर्माता ने बताया कि बीबीवी154 को विशेष तौर पर नाक के रास्ते देने के लिए तैयार किया गया है. कंपनी ने कहा कि इसके साथ ही नाक से टीका देने की प्रणाली को इस तरह से डिजाइन व विकसित किया गया है जिससे यह निम्न व मध्य आय वाले देशों के लिए किफायती हो.
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गौरतलब है कि इंट्रानेजल की प्राथमिक खुराक (शुरुआती दो खुराक) के तौर पर प्रभाव और कोविड-19 के अन्य टीके (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) की दो शुरुआती खुराक लेने वालों को तीसरी खुराक के तौर पर दिया गया है. डीसीजीआई ने अलग से कंपनी को कोवैक्सीन के साथ इंट्रानेजल की प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा की तुलना करने के लिए तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण करने की भी अनुमति दी थी. यह परीक्षण नौ स्थानों पर करने की अनुमति दी गई थी.