बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा हाल में ही रेपो रेट में वृद्धि की गई है. इसका असर सितंबर के महीने में बाजार में दिखने लगा. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने ऋण पर ब्याज दर बढ़ा दिया है. इसका सबसे पहला असर घर, ऑटो और पर्सनल लोन लेने वालों पर पड़ा है. जब भी रिजर्व बैंक रेपो रेट के दर में वृद्धि करता है तो ऋणदाता के ऋण पर बढ़े हुए ब्याज के रूप में उधारकर्ताओं पर बोझ डलता है. एक ऑनलाइन साइट के सर्वे के मुताबित हाल के दिनों में ऊंचे ऋण दर के कारण होम लोन लेने वालों गिरावट दर्ज की गयी है. अगर आवेदकों की संख्या में गिरावट जारी रहा तो देश में आवास बिक्री की संख्या सीधे प्रभावित होगी. इसे देश का इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग सेक्टर के व्यापार पर बड़ा बल पड़ सकता है.
केनरा बैंक ने मंगलवार को कहा कि उसने बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लिडिंग रेट (MLCR) में 0.15 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. इससे कर्ज महंगा हो जाएगा. बैंक के द्वारा घोषित नयी दर बुधवार से प्रभावी होगी. बैंक के द्वारा एक रात में ही एमएलसीआर में 0.10 प्रतिशत की बढोत्तरी की गयी है. केनरा बैंक ने अपने तीन महीने की मैच्योरिटी बकेट में 0.15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है. बैंक की इस बढ़ोत्तरी से मैच्योरिटी बकेट 7.25 प्रतिशत पहुंच गयी है. गौरतलब है कि पिछले महीने जब RBI के द्वारा रेपो रेट बढ़ाया गया था उसके बाद से ब्याज दर बढ़ना तय माना जा रहा था.
बैंकों के द्वारा रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के बाद होम लोन के ब्याज दर में एक प्रतिशत तक की वृद्धि की गयी है. बता दें कि रेपो रेट वो दर होता जिसपर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को लोन देती है. जब बैंक रिजर्व बैंक से महंगा लोन लेगी तो ग्राहकों को निश्चित रुप से महंगा लोन देगी. इसका असर बाजार में देखने को मिल रहा है.
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