पटना: हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी प्रेमियों द्वारा हिंदी दिवस मनाया जाता है. भारत विविधताओं का देश है. यहां कई तरह की भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं. बिहार की बात करें तो यहां मैथली, भोजपुरी, मगही और अंगिका और बज्जिका बोली जाती है. लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है. देश के लगभग 77 फीसदी लोग बोलचाल के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं. जबकि बिहार में बहुत से लोगों के लिए हिंदी रोजगार का ज़रिया भी है.
हिंदी जन-जन की भाषा है. 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया था. हिंदी के महत्व को लोगों को बताने के लिए ‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’ द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी राजभाषा दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया. संविधान निर्माताओं ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे संविधान में जगह दी. भारत के संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) में कहा गया है कि राष्ट्र की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी. इसके बाद 14 सितंबर के दिन को चुना गया और इस दिन हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
हिंदी भाषा को इसका नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से मिला है जिसका अर्थ है ‘सिंधु की भूमि’. भारत के साथ-साथ यह भाषा मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और पाकिस्तान में भी थोड़े बहुत बदलाव के साथ बोली जाती है.
बता दें कि हिंदी दुनिया के तीस से अधिक देशों में पढ़ी और पढ़ाई जाती है. विश्व के 100 विश्वविद्यालयों में हिंदी अध्यापन केंद्र हैं. अमेरिका में लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है.
हिंदी पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. भारत में हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी निबंध प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगता, कविता पाठ, नाटक, और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है. सरकारी दफ्तरों में सप्ताह भर हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है. जहां सभी काम हिंदी में होते हैं.