शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से शुरू होगी. इस बार नवरात्र पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. शारदीय नवरात्र शुक्ल और ब्रह्म योग से शुरू हो रही है. 26 सितंबर की सुबह 8.06 बजे से ब्रह्म योग लग रहा है, जो 27 सितंबर की सुबह 6.44 बजे समाप्त होगा. वहीं शुक्ल योग की शुरुआत 25 सितंबर को सुबह 9.06 बजे होगी, जो 26 सितंबर की सुबह 8.06 बजे तक रहेगा. पं. हरिशंकर पाठक ने कहा कि शारदीय नवरात्र में दोनों योग दुर्लभ है. इससे भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आयेगी. 26 सितंबर को सुबह 6.20 बजे से सुबह 10.19 बजे तक का मुहूर्त घट स्थापन के लिए शुभ माना गया है. पं. हरिशंकर पाठक ने कहा कि इस बार माता का आगमन और विदाई हाथी पर हो रही है, शुभ है.
शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना के लिए शहर में पंडाल बनने शुरू हो गये हैं. पूजा समितियां पंडाल को मॉडल का रूप देने में जुटी हुई हैं. कहीं हिमालय की गुफा बना कर पूजा की जायेगी, तो कहीं पंडाल को 61 हजार फूलों से सजाया जायेगा. शहर के विभिन्न स्थानों पर होने वाली सार्वजनिक पूजा के लिए समितियों ने मूर्ति बनवाने का काम भी शुरू कर दिया है. हरिसभा स्कूल में होने वाली पूजा के लिए पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान से झंटू पॉल पहुंच चुके हैं. वे यहां करीब 20 वर्षों से मूर्ति बना रहे हैं. बांग्ला विधि से पूजा के लिए कोलकाता से ढाक बजाने के लिए भी टीम आयेगी.
पंकज मार्केट स्थित साथी परिषद ने पंडाल का ढांचा बना लिया है. यहां भी पंडाल की साज-सज्जा के लिए कोलकाता से कारीगर आ रहे हैं. लकड़ीढाई दुर्गा मंदिर का रंग-रोगन हो चुका है. यहां परंपरागत ढंग से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. सरैयागंज और अंडीगोला में भी भव्य पंडाल बनाने की तैयारी चल रही है. अघोरिया बाजार दुर्गा मंदिर में मां की मूर्ति तैयार हो रही है. कलमबाग चौक स्थित दुर्गा मंदिर में भी इस बार विधि-विधान से पूजा की जायेगी. छाता चौक, लेनिन चौक और सिकंदरपुर में भी पंडाल बनाने की तैयारी चल रही है.
26 सितंबर – घट स्थापना, प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा
27 सितंबर – दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा
28 सितंबर – तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा
29 सितंबर – चौथे रूप कुष्मांडा की पूजा
30 सितंबर – पांचवें रूप स्कंदमाता की पूजा
1 अक्टूबर – छठे रूप कात्यायनी की पूजा
2 अक्टूबर – सातवें रूप कालरात्रि की पूजा
3 अक्टूबर – आठवें रूप महागौरी की पूजा
4 अक्टूबर – नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा