पटना. बिहार में जातिगत जनगणना अब सितंबर में नहीं बल्कि अक्टूबर में होगा. बिहार में निकाय चुनाव को लेकर जातिगत जनगणना का काम एक माह टाल दिया गया है. सितंबर और अक्टूबर माह में नगर निकाय स्तरीय चुनाव संभावित है. ऐसे में जाति आधारित जनगणना का काम प्रभावित हो सकता था. हालांकि इसको लेकर प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. इसके लिए हर स्तर से तैयारी की जा रही है, चाहे वह सामान्य प्रशासन विभाग हो या जिलास्तर हो.
दरअसल, राज्य में ये गणना कराने के लिए जिलास्तर पर हर 700 की जनसंख्या पर एक चार्ज या गणक ब्लॉक तैयार करना है. सभी प्रखंड और निकाय स्तर पर ऐसे चार्ज को बनाने की कवायद तेजी से शुरू कर दी गयी है. जिला स्तर पर इसी प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सभी वार्ड और पंचायत क्षेत्र में हर 700 की जनसंख्या पर एक चार्ज तैयार किया जा रहा है. वहीं, 2500 आबादी वाले वार्ड क्षेत्र में चार चार्ज बनाए जाएंगे और हर चार्ज की चौहद्दी तय की जाएगी.
विभागीय सूत्रों का कहना है कि जाति आधारित जनगणना ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन मोड से भी होना है. इसके लिए एक एप बनाने की तैयारी है. सितंबर के अंत तक इस एप को तैयार कर लिया जाएगा. इस एप में प्रगणक ऑनलाइन मोड से संबंधित परिवार की पूरी डिटेल देंगे. इसके अलावा एक फॉर्म भी भरा जाएगा, जिसमें मौजूद कॉलम और फॉर्मेट को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस फॉर्म को विभाग और जिला दोनों स्तर पर छपवाने की तैयारी है.
जातीय जनगणना आजाद भारत में एक बार भी नहीं है. आखिरी बार साल 1931 में ब्रिटिश हुकुमत के दौरान ही जाति के आधार पर जनसंख्या के आंकड़े इकट्ठे किये गये थे. इसके बाद कभी भी जाति के आधार पर जनसंख्या के आंकडे़ जारी नहीं हुए हैं. वैसे तो सबसे पहले 1881 में जनगणना हुई थी और उसके बाद हर 10 साल में जनगणना होती गयी, लेकिन 1931 के बाद जाति के आधार पर जनगणना के आंकड़ें सामने नहीं आये. 1931 के बाद 1941 को जाति के आधार पर जनगणना तो हुई थी, लेकिन इसके आंकड़ें सार्वजनिक नहीं किए गए.