भागलपुर: आधुनिकीकरण के युग में बिहार पुलिस और पुलिस की कार्य प्रणाली भी लगातार आधुनिक होती जा रही है. पर साहबों का ध्यान इस आधुनिक हो रही बिहार पुलिस के छोटे अफसरों और सिपाहियों की ओर शायद नहीं है. शायद इसलिए ही आज भागलपुर पुलिस जिला में पुलिस को मिलने वाली सुविधाओं से लेकर सड़क पर कड़ी धूप, कंपकंपाती ठंड और बरसात में खड़े होकर पुलिसिंग करने वाले पुलिस अफसरों और कर्मियों का हाल बदतर है. चाहे थानों की बात करें या पुलिस लाइन की सभी जगह अधिकारियों की अनदेखी से हाल बदहाल है. वहीं पुलिसिंग के लिये उपयोग होने वाले संसाधनों का हाल भी विभाग की तरह जर्जर हो चुका है.
मोजाहिदपुर थाना अपने बदहाली के दिन गिन रहा है. सालों से अपने नये भवन के इंतजार में थाना की छत खुद ब खुद गिर रही है. और इस असुरक्षा के बीच थाना के पुलिसकर्मी अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं. कई बार थाना भवन के निर्माण को लेकर आदेश निर्देश दिये गये. पर दशकों पुराने मोजाहिदपुर थाना भवन का जीर्णोद्धार नहीं हो सका. रात या दिन में अपने थाना भवन के पहले तल पर बने बैरक में सोने जाने वाले पुलिसकर्मी अपने बिस्तरों के उपर पन्नी लगा कर सोते हैं तो कि छत से टूट कर गिरने वाला हिस्सा उन पर न गिर जाये.
इधर, बरारी थाना भवन का भी हाल कुछ इसी तरह का है. बरारी थाना के बैरक सहित सिरिस्ता के छत पर लगी शीट जगह जगह से टूट गयी है. हाल यह है कि बरसात का दिन आते ही पुलिसकर्मी अपने बिस्तर सहित सिरिस्ता के सामानों को टूटी छतों के नीचे से हटाने में लग जाते हैं.
पुलिस लाइन की बदहाली भी किसी से छिपी हुई नहीं है. भले ही पुलिस लाइन के भीतर की बदहाली को कुछ महीने पहले ही बनायी गयी पुलिस केंद्र की नयी चाहरदिवारी से ढक गयी हो पर पुलिस लाइन में रहने वाले सैकड़ों पुलिसकर्मी और पुलिस अफसर किसी तरह अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं. रसोई के नाम पर खुले में ही चदरे के नीचे लकड़ियों को जला कर खाना बनाया जाता है. तो पुलिस लाइन में मौजूद कॉमन शौचालय जाने के लिये झाड़ियों से गुजरना पड़ता है. पुलिस केंद्र में पुलिस वाहनों की मरम्मति के लिये बनाया गया एमटी शाखा की मशीनें में जंग लग चुकी है साथ ही एमटी शाखा के छत पर लगे चदरे भी सड़ चुके हैं. पुलिस केंद्र में बने बैरक भी जर्जर हो चुके हैं. वहीं पुलिसकर्मी तिरपाल और पन्नी डाल कर किसी तरह अपना गुजारा कर रहे हैं.