Karma Puja 2022: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह के मातुलडीह गांव में चार सितंबर से ही करम पूजा की धूम है. चार सितंबर को नदी से कुंवारी युवतियों ने झुंड में बालू लेकर अखड़ा में रखा. बालू में चना, उरद, मूंग समेत अन्य बीज लगाने का नियम है. पांच सितंबर को अखड़ा में रात जागान हुआ. शाम में करम जहां है, वहां लोग गये और जागान किया. छह सितंबर को करम डाली काट कर लायेंगे. अखड़ा में गाड़ कर पूजा करेंगे. बलि चढ़ाकर पूजा होगी. करम डाल के आस पास लोग करम नाच-गान करेंगे. रात भर जागान होगा.
मानभूम लोक संस्कृति संघ गराम धराम झुमुर अखड़ा से जुड़े लोक कलाकारों ने बदलाव के दौर में अपने बलबूते करम नृत्य-गान को जीवंत रखा है. लोक कलाकार मनोरंजन महतो ने करम गीत गाते हुए कहा –
काश फूल फुटलो दादा, आशो हामे लेगे लाय
करम खेले जाबो, हामे हियाए की तोर लागे नाय
उन्होंने विलुप्त हो रहे करम नृत्य गान पर गीत गाते हुए कहा-
एकटा पेटे जन्म लिये, हांसे खेले बोड़ो होली
ऐबार इंद-करम गेली भूले, हीरोइन लेखा बहू पाये
प्रकृति की पूजा है करम, इससे कृषि की उत्पत्ति हुई : मनोरंजन महतो
लोक कलाकार मनोरंजन महतो ने कहा कि प्रकृति की पूजा ही करम है. करम पूजा से कृषि की उत्पत्ति हुई. अखड़ा में जो बालू रखा जाता है, उसमें बीज डाला जाता है. तीन दिन में बीज अंकुरित हो जाता है. इसी से कृषि की उत्पत्ति हुई. मनोरंजन महतो ने कहा मातूलडीह में हम लोक कलाकार वर्षों से करम को जीवंत कर रखे हैं. वर्तमान समय में लोग करम गीत-नृत्य को भूल रहे हैं. यह झारखंडियों की संस्कृति से जुड़ा है. आज मातूलडीह आखड़ा में मनोरंजन महतो के साथ लोग कलाकार इंदू गोप, सबिता गोप, विक्रम गोप, रेणुका गोप, सुचित्रा गोप, रूपेन गोप, मनोहर गोप, बेबी गोप, आलोका गोप आदि कई लोक कलाकार जुटे और करम नृत्य और गीत मांदर और धमसे की थाम पर की.
Posted By : Guru Swarup Mishra