Hyderabad: हैदराबाद में शार्क-कोव-2 को ट्रैक करने के लिए सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (IICT) के शोधकर्ताओं द्वारा यूनिक वेस्टवाटर सर्विलांस सिस्टम विकसित किया गया है. इससे मंकीपॉक्स और डेंगू सहित अन्य संक्रामक रोगों की व्यापकता को ट्रैक करने में मदद मिलेगी.
इस सिस्टम का उपयोग संक्रामक रोगों के बढ़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए उस समय किया जा सकता है, जब बड़े पैमाने पर लोगों के परीक्षण करने संभव नहीं होते हैं. यह वास्तविक समय में समुदायों में कोविड के प्रसार की समग्र निगरानी करने का एक उपाय है. बताया जाता है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के मल में एसएआर-सीओवी2 विषाणु होते हैं और ये विषाणु रोगकारक लक्षणों वाले मरीजों के साथ-साथ बिना लक्षणों वाले मरीजों के मल में भी पाए जाते हैं और इस प्रकार से सीवेज में इस विषाणु के प्रसार से संक्रमण के रुझान के बारे में जानकारी मिल जाती है.
शोधकर्ताओं ने पहले ही इसे बेंगलुरु में शुरू कर दिया है और छोटे तथा मध्यम आकार के शहरी केंद्रों में मंकीपॉक्स, डेंगू, एक्यूट माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों पर नजर रखना शुरू कर दिया है. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी (टीआईजीएस), बेंगलुरु के डॉ राकेश कुमार मिश्रा कहते है कि बेंगलुरू में हमने मंकीपॉक्स, डेंगू और एएमआर जैसी संक्रामक बीमारियों को ट्रैक करने के लिए wastewater surveillance शुरू कर दी है. अगले दो वर्षों के लिए, हम हैदराबाद सहित प्रत्येक शहर के लिए विशिष्ट वेस्टवाटर सर्विलांस मॉडल का मानकीकरण करने जा रहे हैं. डॉ मिश्रा ने कहा कि संक्रामक रोगों को ट्रैक करने के लिए सीवेज सर्विलांस हैदराबाद सहित कम से कम 7 से 8 बड़े, छोटे और मध्यम आकार के भारतीय महानगरों में लागू की जाएगी.
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