Prayagraj: यह मामला प्रयागराज के तेज बहादुर सप्रु अस्पताल के सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले एक युवक का है. वह अपनी मानसिक रोगी मां के साथ वहां रहता था. लेकिन बदनसीबी ऐसी कि ना तो वह जिंदा रहते, अपने बैंक खाते में जमा एक करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर पाया और ना ही बीमारी के समय उसका यह रुपया काम आया.
प्रयागराज के तेज बहादुर सप्रु अस्पताल के सर्वेंट क्वार्टर में धीरज कुमार नाम एक युवक रहता था. बैंक खाते में रुपया होने के बावजूद वह गरीबी में जिंदगी काट रहा था. बताया जा रहा है कि सफाई कर्मी धीरज ड्यूटी के दौरान अचानक बेहोश होकर गिर गया. आनन-फानन में उसे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन अज्ञात कारणों से उसे डिस्चार्ज करा लिया गया.
घर पहुंचने पर धीरज की हालत फिर खराब होने लगी. इस पर उसे लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराने के लिये रेफर कर दिया गया. एसजीपीजीआई ले जाने के लिये उसे एंबुलेंस में लेटाया गया. लेकिन अचानक उसकी मां ने उसे वापस उतारने की जिद कर दी. काफी समझाने के बावजूद मां ने धीरज को एंबुलेंस उतार लिया और घर के दरवाजे पर लेटा दिया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मानसिक रोगी मां ने धीरज का वहीं देसी इलाज करना शुरू कर दिया. कभी उसके हल्दी लगाती तो कभी उसकी मालिश करती. इस दौरान धीरज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. बताया जा रहा है कि काफी समझाने के बावजूद मां ने धीरज को अस्पताल नहीं ले जाने दिया. जिससे लगभग दो घंटे बाद घर पर ही उसकी मौत हो गयी.
जानकारी के अनुसार धीरज के खाते में एक करोड़ रुपये होने की जानकारी तब मिली जब बैंककर्मी उसके घर पहुंचे. क्योंकि वह अपने खाते से रुपये निकालता ही नहीं था. मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वाला धीरज लोगों से रुपये मांगकर अपना खर्च चलाता था. उसकी शादी भी नहीं हुई थी. अब उसके परिवार में सिर्फ बूढ़ी मां व एक बहन ही बची है.