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झारखंड के शिक्षक की कहानी: डॉ जय प्रकाश खरे हैं दृष्टिहीन, लेकिन सैकड़ों विद्यार्थियों को दिखायी राह

झारखंड शिक्षक डॉ जय प्रकाश खुद दृष्टिहीन हैं, लेकिन उन्होंने इसे कभी कमजोरी बनने नहीं दिया. फिलहाल वो रांची विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, उन्होंने अब तक 15 लोगों को पीएचडी करा चुके हैं.

रांची : आज शिक्षक दिवस है. समाज और देश को गढ़नेवाले कारीगर. इनके बूते ही बेहतर परिवार से लेकर राष्ट्र निर्माण की बुनियाद रखी जाती है़ हमारे बीच ऐसे भी शिक्षक हैं, जिन्होंने चुनौतियों को स्वीकार किया. खुद दिव्यांग हैं, लेकिन इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दी़ रांची विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जय प्रकाश खरे दृष्टिहीन हैं.

इन्होंने अपने शिक्षक जीवन में ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो सामान्य व्यक्ति के लिए आसान नहीं है. डॉ जेपी खरे रांची विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष रहे. शिक्षा के क्षेत्र में 17 वर्ष से भी ज्यादा वक्त दे चुके हैं.

वह अब तक 15 पीएचडी करा चुके हैं. उनका कहना है कि एक विकलांग बच्चे के लिए जीवन में विकल्प बहुत कम होते हैं और यह तय करना और भी मुश्किल होता है कि वह आगे अपने जीवन में क्या करेगा. सच्ची लगन और काम के प्रति निष्ठा व्यक्ति की सफलता के आड़े नहीं आ सकती है. जेपी जी को राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने विकलांग वर्ग में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार से सम्मानित किया था.

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