बिहार में इस समय कई जिलों में नदियां जलमग्न हो गयी है. कई इलाकों में तबाही मचा रही है. प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ से सैकड़ों घर नदी में समा गये है. बागमती के जलस्तर में विगत 12 घंटे से बढ़ोतरी के संकेत है. कटौंझा में बागमती का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि वृद्धि की रफ्तार 25 सेमी प्रति घंटा है. विगत 12 घंटे में 125 सेंटीमीटर वृद्धि का रिकॉर्ड है.
जल संसाधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि नेपाल एवं उसके निकटवर्ती बागमती के जल अधिग्रहण वाले क्षेत्रों में बारिश होने के कारण जलस्तर में वृद्धि हुई है. आगे भी वृद्धि का अनुमान है. इस बीच औराई में सूखे की स्थिति से किसान पहले ही परेशान है. खरीफ फसल के अंतिम समय में जलस्तर में बढ़ोतरी से परियोजना बांध के अंदर लगभग एक दर्जन गांव एवं टोलो में दहशत की स्थिति है. यदि इसी रफ्तार में जलस्तर में बढ़ोतरी हुई तो बांध के अंदर खरीफ की बची हुई फसल बर्बाद हो जाने की आशंका है.
वहीं दूसरी ओर लखनदेई नदी के जलस्तर तेज गति के साथ बढ़ोतरी जारी है. हालांकि विगत चार दशकों में इस वर्ष औराई प्रखंड में हर तरफ सूखा ही सूखा है. आलमपुर सिमरी के मुखिया प्रतिनिधि व किसान संजीत महतो ने बताया कि इस समय अगर नदी का पानी आता है तो रबी की फसल पर ग्रहण लगना तय मान लिया जाये. पूरे इलाके में बाढ़ का पानी फैल गया है. निचले इलाकों में बसे लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है.
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गंगा का पानी लगातार नीचे की ओर खिसकने लगा है. इसके साथ ही गंगा का सिल्ट घाटों पर भी जमने लगा है. घाटों पपर सिल्ट जमा होने के कारण घाट की सीढ़ियां अपना अस्तित्व खो दिया है. ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व रखने वाला रामरेखा घाट पर वर्तमान में तो बाढ़ के पानी का स्तर लगातार कम होने से सीढ़ियों पर गंगा का मिट्टी रूपी गाद के जमा हो जाने के कारण दलदल हो गया है.