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पांच रुपये में आ रही है मध्याह्न भोजन की थाली, जानें इस महंगाई में कैसे भर रहा स्कूली छात्रों का पेट

सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के प्रति छात्र 4.97 रुपये और कक्षा छह से आठ के प्रति बच्चा 7.45 रुपये की दर से मिड डे मील यानी मध्याह्न भोजन योजना चलायी जा रही है. इतने कम पैसे में स्कूल प्रबंधन समुचित मात्रा में पोषक तत्वों से भरपूर मिड डे मील उपलब्ध करा रहा है.

राजदेव पांडेय, पटना. सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के प्रति छात्र 4.97 रुपये और कक्षा छह से आठ के प्रति बच्चा 7.45 रुपये की दर से मिड डे मील यानी मध्याह्न भोजन योजना चलायी जा रही है. इतने कम पैसे में स्कूल प्रबंधन समुचित मात्रा में पोषक तत्वों से भरपूर मिड डे मील उपलब्ध करा रहा है. यह लागत 14 अप्रैल, 2020 को निर्धारित की गयी थी.

पोषण की बात पूरी तरह बेमानी

मध्याह्न भोजन संचालित कर रहे स्कूल प्रबंधन भी यह मानकर चल रहे हैं कि कक्षा एक से आठ तक के स्कूली बच्चों को समुचित मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त मध्याह्न भोजन परोसना चुनौती पूर्ण हो गया है. पोषण आहार के मैन्यू और प्रति बच्चा निर्धारित की गयी कीमत में पोषण की बात पूरी तरह बेमानी है. इसकी वजह अप्रत्याशित तौर पर चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बढ़ी महंगाई है. महंगाई रुकने का नाम भी नहीं ले रही है.

जानिए मध्याह्न भोजन का साप्ताहिक मैन्यू

  • सोमवार : चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी

  • मंगलवार: जीरा चावल, सायोबीन और आलू की सब्जी

  • बुधवार : हरी सब्जी युक्त खिचड़ी,चोखा,केला/मौसमी फल

  • गुरुवार: चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी

  • शुक्रवार : पुलाव, काबुली चना/ लाल चना का छोला, हरी सलाद,अंडा/मौसमी फल

  • शनिवार : हरी सब्जी युक्त खिचड़ी,चोखा, केला/मौसमी फल

चावल से लेकर आलू तक हुए काफी महंगे

दरअसल मैन्यूके मुताबिक दो साल पहले मध्याह्न भोजन के लिए निर्धारित प्रति बच्चादर (परिवर्तन मूल्य) पर समुचित मात्रा में पौष्टिक आहार खरीदा जाना असंभव सा हो गया है. दरअसल 2020 की तुलना में 2022 में खाद्य वस्तुओं के दाम में 30 से 300 फीसदी तक बढ़ोतरी हो चुकी है. प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की महंगाई किस तरह बढ़ी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण सरसों तेल को लीजिए. इसमें दो सालों में थोक मूल्य में 70 फीसदी से अधिक का इजाफा हो चुका है.

गेहूं के आटे के मूल्य में 63 प्रतिशत की वृद्धि

2020 के प्रथम तिमाही में ब्रांडेड सरसों तेल की थोक कीमत 11 हजार रुपये प्रति सौ लीटर थी, वर्ष 2021 में यह 13300 रुपये हुई और 2022 में इसकी कीमत बढ़ कर 15700 रुपये प्रति सौ लीटर तक पहुंच गयी है. पिछले दो सालों में गेहूं के आटे के मूल्य में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2020 में आटा का थोक मूल्य 1800 रुपयेप्रति क्विंटल से भी कम रहा. वर्ष 2021 में यह 2050 रुपये और अब 2850 रुपयेप्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है.

आलू के दाम 200 से 300 फीसदी तक बढ़े हैं

2020 में आलू का औसत थोक मूल्य प्रति क्विंटल 900 रुपये प्रति क्विंटल था. 2021 में आलू का औसत मूल्य 1100 से 1200 रुपये और अब 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. अच्छे आलू की कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी है. इस तरह आलू के दाम 200 से 300 फीसदी तक बढ़े हैं.

हम बच्चों को भरपूर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रहे हैं

चावल का प्रति क्विंटल थोक मूल्य वर्ष 2020 में 2565 रुपये, 2021 में 2683 और 2022 अगस्त में 3142 रुपये पहुंच चुकी है. इसके अलावा काबुली चना, पुलाव का चावल, हरेसलाद,सोेयाबीन, मसाले और दालों की कीमत में 40 से 80 फीसदी तक का इजाफा हो चुका है. ऐसे में मध्याह्न भोजन संचालित करने वाली एजेंसी या स्कूल प्रबंधन के लिए खाद्य प्रबंधन करना चुनौती पूर्ण ही है. इसके बाद भी मध्याह्न भोजन निदेशालय का दावा है कि हम बच्चों को भरपूर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रहे हैं.

(इस खबर में मूल्य संबंधी आंकड़े खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग और बाजार से लिये गये हैं)

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