समस्तीपुर के रुसलपुर में बागमती नदी के कटाव से स्थानीय लोगों में भय का माहौल है. प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में बसबिट्टा पंचायत के रुसलपुर गांव के सटे बागमती नदी बहती है, वहां सैकड़ों एकड़ फसल नदी में समा चुकी है. इससे किसानों में दहशत का माहौल है. नदी के लगातार कटाव से अब तक तट के समीप बसे 50 घर बागमती नदी के भेंट चढ़ चुके हैं. रामचंद्र मांझी बताते हैं कि एक बस्ती (छनकी टोला) को निगलने के बाद बागमती की धारा रुसलपुर गांव के बगल में पहुंच गयी है. दिनेश कुमार बताते हैं कि विभाग द्वारा कुछ बांस पाइलिंग कर बालू से भरे बोरे डाल कर कटाव रोकने का प्रयास किया गया था, पर बोल्डर से तटबंध नहीं बांधा गया. इसकी परिणति आज सामने है.
नागेंद्र सिंह ने बताया कि हम लोगों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल बागमती की धार में समा गयी है. बागमती प्रोजेक्ट, सीतामढ़ी के कार्यपालक अभियंता अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए (परमानेंट उपाय को लेकर) जिओ बैग से तटबंध की सुरक्षा की जाएगा. इसके लिए आवश्यक दिशा में कार्रवाई चल रही है. अक्तूबर के बाद कार्य प्रारंभ किया जायेगा. इधर, मधुबनी के झंझारपुर में कमला नदी के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है.
फिलहाल झंझारपुर में कमला नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है. फ्लड कंट्रोल डिविजन वन झंझारपुर के कार्यपालक अभियंता अनिश रंजन ने कहा कि शनिवार को कमला नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है. बढ़ रहे जलस्तर से फिलहाल कहीं से कोई खतरा नहीं है. शनिवार को दोपहर 3 बजे तक में कमला नदी का जल स्तर बढ़कर 50.30 मीटर पर पहुंच गया. खतरे का निशान 50 मीटर पर अंकित है. फिलहाल कमला नदी के जल स्तर में वृद्धि हो रही है.
कटिहार के कुरसेला प्रखंड क्षेत्र का अधिकांश भूभाग बाढ़ की चपेट में आ चुका है. बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग परेशानियों में जीवन गुजारने को विवश हैं. हर तरफ सैलाब की विभीषिका नजर आ रही है. अफरा-तफरी के बीच लोग जान माल की सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. रेलवे माल गोदाम कुरसेला, बसुहार, मजदिया, समपार रेल ढाला, पत्थल बांध सहित ऊंचे स्थानों पर बाढ़ पीड़ित परिवारों ने शरण ले रखी है. प्रभावित परिवार मचान बनाकर बाढ़ के बीच जीवन गुजारने की विवश बने हुए है. बाढ़ के पानी से नगर के साथ-साथ प्रखंड क्षेत्र के कई गांव प्रभावित हैं. वहीं, गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी की रफ्तार में ब्रेक लगने के साथ ही इसमें कमी की आनी प्रारंभ हो गयी है.