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गया सिविल लाइंस थाने के 195 केसों की फाइलें ले भागे 22 दारोगा, सभी आरोपित दारोगा पर दर्ज हुआ केस

गया के सिविल लाइंस थानाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार ने बताया कि 195 केसों से संबंधित फाइल व प्रभार नहीं देने के मामले को लेकर 22 पुलिस पदाधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है.

रोशन कुमार, गया : सिविल लाइंस थाने में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व सहायक अवर निरीक्षक के पद पर कामकाज कर चुके 22 पुलिस पदाधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है. इन पुलिस पदाधिकारियों पर आरोप है कि ये पिछले वर्षों में दर्ज हुए 195 प्राथमिकियों की जांच से संबंधित फाइल को लेकर अपने साथ चले गये हैं और उसे अब तक सिविल लाइंस थाने को नहीं लौटाया है. इस मामले को एसएसपी हरप्रीत कौर ने गंभीरता से लिया और सरकारी संपत्ति लेकर चले जानेवाले 22 दारोगाओं पर केस दर्ज करने का आदेश दिया.

शनिवार को सिविल लाइंस थानाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार ने बताया कि 195 केसों से संबंधित फाइल व प्रभार नहीं देने के मामले को लेकर 22 पुलिस पदाधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है. जबकि, पुलिस मुख्यालय से कई बार निर्देश दिया गया है कि ट्रांसफर होते ही संबंधित केस का प्रभार संबंधित थाने के पुलिस पदाधिकारियों को सौंप दें, ताकि उसके आगे के अनुसंधान में कोई व्यवधान नहीं हो सके. लेकिन, छानबीन के दौरान पता चला कि सिविल लाइंस थाने में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व सहायक अवर निरीक्षक के पद पर रह चुके 22 पुलिस पदाधिकारियों ने 300 केसों को प्रभार ही नहीं दिया है.

किस दारोगा के पास कितने केस

थानाध्यक्ष ने बताया कि इंस्पेक्टर हरि ओझा ने 17 केसों का प्रभार नहीं दिया है. सब इंस्पेक्टर रंजन कुमार ने 21 केस, सब इंस्पेक्टर रामकृष्ण बैठा ने सात, सब इंस्पेक्टर विजय पासवान ने 14, सब इंस्पेक्टर मानमती सिन्हा ने 15, सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार टू ने नौ, सब इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह ने छह, सब इंस्पेक्टर प्रसिद्ध कुमार सिंह ने सात, सब इंस्पेक्टर दुर्गेश गहलौत ने चार, सब इंस्पेक्टर विनय कुमार राय ने 15, सब इंस्पेक्टर परमहंस सिंह ने 10, सब इंस्पेक्टर लालमुनी दूबे ने चार, सब इंस्पेक्टर दिलीप कुमार सिंह ने पांच, सब इंस्पेक्टर दीपक कुमार ने पांच, सब इंस्पेक्टर दिलेश्वर महतो ने सात, सब इंस्पेक्टर अशोक चौधरी ने पांच, सब इंस्पेक्टर गौरव सिंधु ने छह व सब इंस्पेक्टर अखिलेश्वर शर्मा ने चार केसों का प्रभार नहीं दिया है. थानाध्यक्ष ने बताया कि सहायक अवर निरीक्षक अवधेश सिंह ने छह, सहायक अवर निरीक्षक किशोर कुमार झा ने 17 व सहायक अवर निरीक्षक प्रदीप पासवान ने चार केसों को प्रभार नहीं दिया है.

कई की हो चुकी है प्रोन्नति, तो कई हो चुके हैं रिटायर्ड

थानाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार ने बताया कि आरोपित 22 पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध धारा 409 के तहत केस दर्ज कर मामले की छानबीन करने की जिम्मेदारी इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के रूप में सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश को सौंपी गयी है. उन्होंने बताया कि आरोपित बने 22 पुलिस पदाधिकारियों में से एक इंस्पेक्टर हरि ओझा खुद सिविल लाइंस थाने के थानाध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं, आरोपित बने सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार चौधरी विभागीय प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टर बन चुके हैं. इसके अलावा आरोपित पुलिस पदाधिकारियों में से कुछ रिटायर्ड हो चुके हैं और कुछ का स्थानांतरण दूसरे जिलों में हो चुका है.

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क्या कहती हैं एसएसपी

एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि किसी भी कांड के अनुसंधान को लेकर बनायी गयी फाइल सरकारी संपत्ति है. केस दर्ज होने पर उसकी जांच को लेकर थाने के किसी एक पुलिस पदाधिकारी को इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर-आइओ बनाया जाता है. नियम है कि अब आइओ का तबादला हो जाये, तो संबंधित थाने के पदाधिकारी को उक्त फाइल व प्रभार सौंप दें. लेकिन, छानबीन में पता चला है कि सिविल लाइंस में दर्ज 195 प्राथमिकियों की जांच से संबंधित फाइल लेकर ही 22 दारोगा फरार हैं. अब तक उन्होंने न तो फाइल लौटायी है और न ही प्रभार दिया है. यह बेहद ही गंभीर मामला है. इससे जांच प्रक्रिया प्रभावित होती है. इसे गंभीरता से लेते हुए सिविल लाइंस थाने के 22 पुलिस पदाधिकारियों पर धारा 409 के तहत केस दर्ज किया गया है. अब उन सभी को नोटिस भेजा जायेगा. फाइल नहीं लौटने व प्रभार नहीं देने के जुर्म में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जायेगा.

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