Explainer: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नए चंद्र रॉकेट में शनिवार को एक और खतरनाक ईंधन रिसाव हुआ, जिससे प्रक्षेपण नियंत्रकों को परीक्षण डमी के साथ चंद्रमा की कक्षा में क्रू कैप्सूल भेजने का अपना प्रयास दूसरी बार टालने के लिए मजबूर होना पड़ा. बता दें कि इससे पूर्व सोमवार किए गए पहले प्रयास में हाइड्रोजन ईंधन रिसाव की वजह से समस्या पैदा हुई थी.
नासा के महत्वाकांक्षी नये चंद्र रॉकेट से शनिवार को उस समय फिर से खतरनाक रिसाव हुआ, जब इसके परीक्षण की अंतिम तैयारियों के लिए इसमें ईंधन भरा जा रहा था. परीक्षण दल ने इस सप्ताह अपनी दूसरी कोशिश के तहत, नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली 322 फुट लंबे रॉकेट में 10 लाख गैलन ईंधन भरना शुरू किया था, लेकिन इसमें रिसाव शुरू होने लगा.
नासा का यह अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. शनिवार को दूसरी बार पैदा हुई समस्या परेशान करने वाली है. प्रक्षेपण निदेशक चार्ली ब्लैकवेल-थॉम्पसन और उनकी टीम ने 3-4 घंटे के असफल प्रयास के बाद आखिरकार उलटी गिनती बंद कर दी. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा है कि अगला प्रयास कब किया जा सकता है.
यह अंतरिक्षयान 98 मीटर लंबा है, जो नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट है और अपोलो कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा तक ले जाने वाले सैटर्न-5 से भी शक्तिशाली है. अब जब भी यह प्रक्षेपण होगा, यह नासा के 21वीं सदी के चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के तहत यह पहली उड़ान होगी. इसका नाम यूनानी पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन आर्टेमिस के नाम पर रखा गया है.
दरअसल, नासा एक विशेष मून मिशन शुरू करने की तैयारी में है. इसके लिए चांद पर जाने वाले यानों के लिए पार्किंग की जरूरत होती है. यह जगह खोजने के बाद ही यान उड़ान भरता है. उड़ान भरने से पहले ही पार्किंग की जगह तय हो जाती है. ताकि वह अपने लक्ष्य से भटके नहीं और कहीं दुर्घटना ग्रस्त नहीं हो. पार्किंग की जगह ऐसी खोजी जाती है जो पूरी तरह से सुरक्षित हो और मिशन की जरूरतों को पूरा करने वाली हो.
यदि चंद्रमा की कक्षा में परीक्षण डमी के साथ क्रू कैप्सूल भेजने का काम सफलतापूर्वक हो जाता है, तो 2024 में अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की कक्षा में उड़ान भर सकेंगे और 2025 में वे धरती पर आएंगे. मानव ने पिछली बार चंद्रमा पर 50 साल पहले चहलकदमी की थी. बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग पहली बार 20 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर उतरे थे. तब उनकी उम्र महज 38 वर्ष थी. उनके साथ एक अन्य साथी एडविन एल्ड्रिन भी थे. यह यान 16 जुलाई को धरती से उड़ान भरने के बाद 20 जुलाई को अंतरिक्ष पहुंचा था. इस यान को पहुंचने में चार दिन का समय लगा था. यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चांद पर रहा और फिर सभी यात्रियों को सुरक्षित लेकर वापस धरती पर आ गया.
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