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झारखंड के हजारीबाग में एक पुलिस के भरोसे करीब 2300 लोगों की सुरक्षा, जिला में पुलिस कर्मियों की भारी कमी

हजारीबाग जिले में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है. 22 लाख की आबादी की सुरक्षा की जिम्मेवारी मात्र 1467 पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों पर है. देश की सुरक्षा के मापदंड के अनुसार, 694 व्यक्तियों पर एक पुलिस कर्मी और UNO के अनुसार, 450 व्यकितयों पर एक पुलिस जवान को तैनात करना है.

Prabhat Khabar Special: हजारीबाग जिले में 22 लाख की आबादी की सुरक्षा की जिम्मेवारी मात्र 1467 पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस कर्मियों पर है. इस जिले में पुलिसकर्मियों की घोर कमी है. इन कारणों से जिले में आये दिन चोरी, छिनतई, दंगा, लूट, हत्या, रंगदारी वसूली समेत अपराध की घटनाएं बढ़ रही है. जिले में डीएसपी रैंक से लेकर जमादार रैंक के मात्र 417 पुलिस पदाधिकारी और सिपाही से हवलदार रैंक के मात्र 1050 बल पदस्थापित है.

2095 लोगों पर सुरक्षा में एक पुलिस बल तैनात

हजारीबाग जिले में औसतन 2095 लोगो की सुरक्षा में एक पुलिस कर्मी तैनात है. जिलेवासियों की सुरक्षा में मात्र 1050 पुलिस बल लगे हुए हैं. इसके अलावे जिले में छह डीएसपी, 11 इंस्पेक्टर, 151 दरोगा और 265 एएसआई पदस्थापित है.

देश की सुरक्षा मापदंड के अनुसार कम जिले में कम पुलिस कर्मी

देश के लोगों की सुरक्षा का मापदंड के अनुसार, गौर किया जाय तो हजारीबाग जिले में बहुत कम संख्या में पुलिस बल पदस्थापित है. देश की सुरक्षा का मापदंड के अनुसार 694 व्यक्तियों पर एक पुलिस कर्मी को सुरक्षा में तैनात करना है. वहीं, UNO के अनुसार 450 व्यकितयों पर एक पुलिस जवान को तैनात करना है. लेकिन, हजारीबाग जिले में 2095 लोगों पर एक पुलिस जवान तैनात है.

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वीआईपी स्कॉट ड्यूटी से परेशान रहते हैं पुलिस पदाधिकारी और कर्मी

हजारीबाग से एनएच 33, एनएच 100, जीटी रोड गुजरा हुआ है. इन मार्गों से होकर आये दिन दर्जनों वीआईपी गुजरते हैं. मार्ग में पड़नेवाले सभी थाना की पुलिस को स्काॅट ड्यूटी करना होता है. जिससे विभिन्न मामलों का अनुसंधान प्रभावित होता है. साथ ही आम लोगों की समस्याओं पर पुलिस संज्ञान नहीं ले पाती है. पुलिस अधिकारियों की मानें, तो आम लोगों का काम भी प्रभावित होता है. इसका मुख्य कारण पुलिस कर्मियों के स्कॉट ड्यूटी में लगा होना है.

नक्सल और अतिसंवेदनशील प्रभावित जिला है हजारीबाग

हजारीबाग जिले के चुरचू, चौपारण, अंगों, केरेडारी, बड़कागांव, गोरहर, बरकट्ठा, इचाक, टाटीझरिया, दारू, गिद्दी, मुफ्फसिल नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इन इलाकों में आये दिन नक्सल गतिविधि रहती है. हालांके अंगों, चुरचू, केरेडारी, विष्णुगढ़ में नक्सल गतिविधियों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों का पिकेट बनाया गया है. इसी प्रकार शहर के पेलावल, लोहसिंघना, सदर, बड़ी बाजार और ग्रामीण क्षेत्रों में विष्णुगढ़, बड़कागांव, बरही क्षेत्र में आये दिन पर्व त्योहार में दंगा होता रहता है. पुलिस बल की कमी होने के कारण पुलिस कार्रवाई प्रभावित होती है. दूसरे जिले से पुलिस बल का सहारा लेना पड़ता है.

साइबर ठगी और साइबर अपराध मामले प्रभावित

जिले में साइबर ठगी व साइबर अपराध के 200 से अधिक मामले लंबित है. पुलिस की कमी के कारण पुलिस अनुसंधान की गति धीमी पड़ गयी है.

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विषम परिस्थिति में दूसरे जिले से पुलिस को बुलाया जाता है

इस संबंध में एसपी मनोज रत्न चोथे ने कहा कि सभी जिले में पुलिस बल की कमी है. जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे जिले की पुलिस बल को बुलाकर विधि व्यवस्था में प्रतिनियुक्ति की जाती है. आपराधिक घटनाओं को हजारीबाग पुलिस जल्द से जल्द मामले का अनुसंधान कर अपराधियों को गिरफ्त में लेती है.

रिपोर्ट : शंकर प्रसाद, हजारीबाग.

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