औरंगाबाद जिले के नक्सल प्रभावित मदनपुर प्रखंड के जंगल तटीय व पहाड़ी इलाके में पुलिस का नक्सल मुक्त अभियान जारी है. हालांकि, पुलिस के लाख प्रयास के बाद भी नक्सली साजिश रचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है. भले ही उनकी साजिश विफल हो जा रही है. एक बार फिर सुरक्षा बलों पर नक्सली हमले की साजिश को ध्वस्त कर दिया गया. बुधवार को पुलिस की छापेमारी में एके 47 राइफल के साथ भारी मात्रा में कारतूस बरामद किये गये. मिली जानकारी के अनुसार, लडुइया पहाड़ व आसपास के क्षेत्रों में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हमले की तैयारी हो रही थी.
सूचना के बाद पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्र व 205 कोबरा वाहिनी के समादेष्टा कैलाश के संयुक्त निर्देशन में अपर पुलिस अधीक्षक अभियान मुकेश कुमार व कोबरा के उप समादेष्टा संजय बेलाल के नेतृत्व में सर्च अभियान चलाया गया. पुलिस की संख्या देखते हुए नक्सली वहां से फरार हो गये, लेकिन वे कुछ हथियार लेकर भागने में असफल रहे. एसपी ने बताया कि कोबरा के साथ स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 31 पीस इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, एक पीस प्रेशर स्वीच, चार पीस इम्प्रोवाइज्ड स्वीच बरामद कर उसी जगह पर नष्ट कर दिया गया.
इस क्रम में एक एके-47 राइफल, दो पीस मैग्जीन, 7.62 एमएम का 139 राउंड कारतूस, एक ट्रांजिस्टर और एक पीस एएमएमएन पाउच बरामद किया गया है. इस मामले में आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम तथा यूएपी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसमें माओवादी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य रहे प्रमोद मिश्रा, विनय यादव, मनोहर गंजू, राजेंद्र यादव, संजीत भुइंया, अभिजीत यादव, सहदेव यादव, लालजीत कुमार सहित 11 लोगों को नामजद आरोपित बनाया गया है. 30 से 40 अज्ञात नक्सली भी आरोपित बने है. सभी नक्सलियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है. प्रेसवार्ता में मदनपुर थानाध्यक्ष शशि कुमार राणा भी उपस्थित थे.
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औरंगाबाद जिले को नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा प्राप्त है. कई बड़े नरसंहार इसके गवाह हैं. नक्सलियों ने कई दशक तक एकछत्र राज किया. खास कर औरंगाबाद जिले के मदनपुर, रफीगंज, देव और नवीनगर प्रखंड बेहद प्रभावित रहा. सैकड़ों निर्दोष ग्रामीणों की जान गयी. एक समय स्थिति इतनी भयावह थी कि मदनपुर व देव के इलाके में बिना उनकी मर्जी से एक पत्ता भी नहीं हिलता था. आज स्थिति बिल्कुल सामान्य सी हो गयी है.
पुलिस ने नक्सलियों को उनके ही भाषा में जवाब दिया. सच कहा जाये, तो नक्सल की जड़े पूरी तरह हिल गयी है और नक्सल समस्या खात्मे की ओर है. प्रारंभ वर्ष के आठ महीने की बात की जाये तो एसपी कांतेश कुमार मिश्र के नेतृत्व में नक्सलियों का एक तरह से सफाया हो गया हो गया और उनकी कमर टूट गयी. कई बड़े नक्सली नेता या तो मारे गये या जेल में अपनी करनी की सजा भुगत रहे है. आठ माह की कार्रवाई की बात की जाये, तो जिस लडुइया पहाड़ व छकरबंधा जंगल को नक्सलियों का अभेद किला माना जाता था वहां अब शांति का माहौल छा गया है.