Jharkhand News : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला के मऊभंडार स्थित आइसीसी कारखाना में लगभग तीन वर्षों से अयस्क की कमी के कारण उत्पादन ठप है. कारखाना में उत्पादन नहीं होने से क्षेत्र पर भी बुरा असर पड़ रहा है. कंपनी क्षेत्र की सड़कें बदहाल हो गयी हैं. वहीं कंपनी क्वार्टरों की स्थिति जर्जर हो गयी है. कंपनी क्षेत्र की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गयी हैं. वहीं क्वार्टरों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो गयी हैं. कारखाना में उत्पादन नहीं होने का सीधा असर क्षेत्र के विकास पर पड़ रहा है. ठेका मजदूर रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. रोजगार के अभाव में अस्थायी मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
कारखाना में उत्पादन नहीं होने का मुख्य कारण अयस्क की कमी बताया जा रहा है. वहीं बंद पड़ी खदानों का भी बुरा हाल है. स्थानीय प्रबंधन और आइसीसी वर्कर्स यूनियन चुप्पी साधे बैठे हैं. रोजगार और आर्थिक बोझ के तले दबे अस्थायी कर्मी आत्महत्या करने को विवश हैं. पिछले दिनों एक मजदूर ने आर्थिक समस्या के कारण आत्महत्या कर ली. वहीं अस्थायी मजदूरों के बाल बच्चों की पढ़ाई बंदी के कगार पर हैं. कई मजदूर काम की तलाश में मऊभंडार से पलायन कर चुके हैं. कई मजदूर टाटानगर में विभिन्न निजी कंपनियों में काम कर रहे हैं. इन सभी मामलों में मान्यता प्राप्त यूनियन की चुप्पी भी समझ से परे है.
पिछले दिनों फेबियन तिर्की और उनकी टीम ने रोजगार की मांग को लेकर कारखाना गेट जाम किया था. उन्हें आश्वासन मिला था कि एक दो माह के अंदर अस्थायी मजदूरों की दिशा में कंपनी प्रबंधन पहल करेगा. कोलकाता हेड ऑफिस में उनकी फाइल गयी है. मगर हेड ऑफिस में भेजी गयी फाइल पर किस तरह की कार्रवाई हुई है. इसे लेकर अस्थायी मजदूर असमजंस की स्थिति में हैं. ऐसे में बदहाल मऊभंडार की स्थिति में सुधार कैसे होगा. इस पर न तो प्रबंधन और न ही मान्यता प्राप्त यूनियन का ध्यान है. इससे अस्थायी मजदूरों के साथ-साथ कंपनी के भरोसे रह रहे लोगों में आक्रोश बढ़ते जा रहा है.
Posted By : Guru Swarup Mishra