वीटीआर के विभिन्न वन क्षेत्र के जंगल से आये दिन सरीसृप प्रजाति के जीवों का भटकना थम नहीं रहा है. इसी क्रम में बुधवार को बगहा प्रक्षेत्र के वन कर्मियों ने ग्रामीण के सूचना पर प्रखंड बगहा एक के पतिलार गांव में दुर्लभ प्रजाति के सांप का रेस्क्यू किया है. इस बाबत बगहा प्रक्षेत्र अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि पतिलार गांव निवासी अक्षय कुमार महतो के घर से काफी दुर्लभ प्रजाति का सांप मिला है. आमतौर पर यहां के जंगलों में दिखाई नहीं देता है. इसे बैंडेड करैत के नाम से जानते हैं. इसका पहला मुख्य भोजन छोटे-छोटे सांप है. लेकिन मछली, मेंढक, कंकाल और सांप के अंडे खाने के लिए भी जाना जाता है. यह सबसे जहरीला और खतरनाक सांप है. इस सांप के जहर में न्यूरोटॉक्सिन जहर होता है. जिसके काटने से धीरे-धीरे खून का थक्का बनने लगता है. जिससे शरीर में खून का बहाव रुक जाता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. वनकर्मियों की टीम ने सांप को वीटीआर के संरक्षित जंगल में छोड़ दिया है.
वही डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रबंधक कमलेश मौर्या ने बताया कि विलुप्त प्रजाति का बैंडेड करैत सांप के शरीर पर काले और पीले रंग के क्रॉसबैंड़ यानी इसके पूरे शरीर पर गहरे पीले रंग की मोटी मोटी धारियां बनी होती हैं. इसका शरीर आकार में त्रिकोणीय है. इसके शरीर के साथ लंबी कशेरुकी ढालें चलती हैं. सिर चौड़ा और उदास होता है. आंखें काली होती हैं. इसके काले सिर पर तीरों के समान पीले निशान होते हैं और होठ पीले होते हैं. बैंडेड करैत 2.25 मीटर (7 फीट 5 इंच) लंबा था. लेकिन आम तौर पर केवल 1.8 मीटर (5 फीट 11 इंच) तक होता है.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रबंधक ने बताया कि बैंडेड करैत सांप की विशेषता यह है कि यह जल्दी से नहीं काटता है. यह नई दुल्हन की तरह बहुत शर्मीला होता है. लेकिन जब इसके शरीर पर दबाव बनता है तब यह डंक मार देता है. इसका जहर बहुत ही खतरनाक और जानलेवा होता है. यह एक ऐसा सांप है जो अपनी ही प्रजाति के ज्यादातर सांपों को बड़ी आसानी से खा जाता है.
प्रबंधक ने बताया कि जीतने भी जहरीले सांप भी होते हैं उनके जहर से बचने के लिए दवाएं बनाई जाती हैं. जिसे एंटी स्नेक वेनम कहा जाता है. लेकिन यह एक ऐसा सांप है. जिसका जहर अभी तक एंटी स्नेक वेनम नहीं बना है और ना ही बन सकता है. यह सांप जितना सुंदर दिखता है उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है. इसलिए इसे देखते ही पकड़ने की कोशिश नहीं करें.