Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली की पहचान एक वक्त में झुमके से थी. मगर, अब बरेली की पहचान सुरमे और मांझे से भी होने लगी है. शहर की सरजमीं ने देश को एक उपराष्ट्रपति भी दिया है. यह बात बरेली की नई पीढ़ी नहीं जानती. क्योंकि, उनका परिवार उप राष्ट्रपति बनने के बाद दिल्ली में शिफ्ट हो गया था.
शहर के बानखाना मुहल्ले के रहने वाले गोपाल स्वरूप पाठक (Gopal Swaroop Pathak) 31 अगस्त 1969 में देश के चौथे उपराष्ट्रपति बने थे. उन्होंने 30 अगस्त 1974 तक उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली. मगर, 31 अगस्त को ही गोपाल स्वरूप पाठक ने दुनिया को अलविदा कह दिया. उनका देहांत 31 अगस्त 1982 को दिल्ली में हुआ था. बुधवार यानी आज उनकी 40वीं पुण्यतिथि है.
शहर के कुंवर दयाशंकर ऐडवर्ड मेमोरियल (KDEM) इंटर कॉलेज से आठवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद गोपाल स्वरूप पाठक ने एमए और एलएलबी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से किया.
गोपाल स्वरूप पाठक एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद जज (न्यायाधीश) बन गए. अंग्रेजों के शासन काल में गोपाल स्वरूप पाठक वर्ष 1945 से 1946 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (जस्टिस) रहे. बरेली में 26 फरवरी 1896 को जन्म लेने वाले गोपाल स्वरूप पाठक ने ब्रिटिश हुकूमत की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद वह जंग-ए-आजादी के आंदोलन में कूद गए.
देश की आजादी के बाद मैसूर, बेंगलुरु और कर्नाटक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. इसके बाद 3 अप्रैल 1960 से 2 अप्रैल 1966 और 3 अप्रैल 1966 से 13 मई 1967 तक राज्यसभा में सदस्य चुने गए, जबकि 1966 से 1967 तक केंद्रीय विधि मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 13 अप्रैल 1967 से 31 अगस्त 1969 तक मैसूर राज वर्तमान कर्नाटक के राज्यपाल रहे थे.
उनका देहांत 31 अगस्त 1982 को दिल्ली में हो गया था. मगर, बरेली के भी काफी कम लोग पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक के बारे में जानते हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक मिलनसार और काफी व्यवहारिक थे.
यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के राज्यपाल स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी (एनडी तिवारी) उनके क्लास फेलो थे. एनडी तिवारी ने भी केडीईएम इंटर कॉलेज में पढ़ाई की. एनडी तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में नौकरी करते थे. जिसके चलते उनकी पढ़ाई बरेली में हुई.
रिपोर्ट: मोहम्मद साजिद