भागलपुर: बिहार राज्य के विभिन्न जिलों में लंबित कांडों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है. लंबित कांडों के आंकड़ों को कम करने के लिए विगत कुछ वर्षों से बिहार पुलिस अथक प्रयास कर रही है. बावजूद जिलों की पुलिस इसको लेकर गंभीर नहीं है. विगत कुछ वर्षों में प्रतिवेदित कांडों और उसके वर्षों से लंबित रहने के मामले हाइकोर्ट के संज्ञान में आने के बाद उच्च न्यायालय ने कांडों के निष्पादन को लेकर बिहार पुलिस को इसको गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है.
कोर्ट के निर्देशानुसार अब जिलों के थानों की पुलिस को कांड के प्रतिवेदित होने यानी कांड के दर्ज होने के बाद 300 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करना होगा. हाइकोर्ट के आदेश को गंभीरता से लेते हुए पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किया गया है. इस मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रेंज आइजी-डीआइजी से लेकर जिलों के एसएसपी-एसपी के साथ बैठकर कर दिशा निर्देश दिया.
वीडियो कांफ्रेंस में एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार ने निर्देशित करते हुए कहा है कि पटना उच्च न्यायालय के संज्ञान में ऐसे मामले आये हैं जिनमें कांड दर्ज होने के 300 दिनों के उपरांत भी न्यायालय में प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया गया है. ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए उनका त्वरित निष्पादन कर उनमें चार्जशीट दाखिल कराने का निर्देश दिया है.
एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार ने कहा कि लंबित कांडों के निष्पादन के लिए मुख्यालय और जिलों के स्तर पर अनुश्रवण कमेटी का गठन किया जायेगा, जो हर 15 दिन पर जिलों के विभिन्न थानों में दर्ज कांड का निष्पादन करेगी. उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि सभी अधिकारी अपने अधीन जिलों के पुलिस पदाधिकारियों को निर्देशित करें कि हर 15 दिन में लंबित कांडों में से कम से कम पांच कांडों का निष्पादन कराएं. हर माह 10 प्रतिशत और हर तीन माह पर 30 प्रतिशत कांडों के निष्पादन का लक्ष्य तय किया जाये. लंबित कांडों के निष्पादन की गति की मॉनीटरिंग संबंधित रेंज के आइजी व डीआइजी करेंगे.