नई दिल्ली : पाकिस्तान बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त है. 1100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों घायल हैं, 10 लाख के करीब घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए और लाखों लोग विस्थापित हो गए. इस प्राकृतिक संकट की घड़ी में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है. उसकी अपील पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आर्थिक मदद के तौर पर पाकिस्तान के लिए करीब 1.1 बिलियन डॉलर से अधिक की रकम जारी कर दिया है. उधर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान में आई बाढ़ की विभीषिका में तबाह हुए घरों और जान गंवाने वाले लोगों के प्रति गहरी संवेदना संवेदना व्यक्त की है.
संकट की इस घड़ी में भारत एक बड़े भाई की तरह आर्थिक मदद करने की योजना बना रहा है और संभावना है कि सरकार की ओर से जल्द ही उसे आर्थिक मदद पहुंचाने का ऐलान भी कर दिया जाए. सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान जब-जब संकट की घड़ी से घिरा है, भारत ने हमेशा बड़े भाई की भूमिका निभाई है और उसकी मोहताजी में साथ देने के लिए हमेशा आगे खड़ा नजर आया है. आइए, जानते हैं कि इससे पहले भारत ने एक बड़े भाई के तौर पर कब-कब पाकिस्तान को मदद करता आया है…
पाकिस्तान में आई बाढ़ की वजह से मची तबाही के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर गहरी संवेदना जाहिर की है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘पाकिस्तान में बाढ़ से हुई तबाही को देखकर दुख हुआ. हम पीड़ितों, घायलों और इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित सभी लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली की आशा करते हैं.’
भारत ने वर्ष 2010 के मानूसन के दौरान पाकिस्तान में आई बाढ़ की वजह से आई तबाही में राहत-बचाव कार्य के लिए एक बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए आर्थिक मदद का ऐलान किया था. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने अगस्त 2010 के दौरान आई बाढ़ विभीषिका में राहत-बचाव के लिए पाकिस्तान को करीब 25 मिलियन डॉलर की सहयोग राशि प्रदान की थी. बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान के सहयोग के लिए भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की-मून की उपस्थिति में 20 मिलियन डॉलर की राशि सौंपी गई थी. मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत थे, जिन्होंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष अब्दुल्ला हुसैन हारून को महासचिव बान की-मून की उपस्थिति में 20 मिलियन डॉलर का चेक दिया था. भारत की ओर से यह रकम राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम के लिए दी गई थी. इसे अलावा, भारत सरकार ने विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत 5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि दी थी.
इतना ही, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के पहले कार्यकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने वर्ष अक्टूबर 2005 में भी पाकिस्तान को करीब 25 मिलियन डॉलर की रकम दी थी. भारत की ओर से यह रकम भूकंप राहत कोष के तहत दी गई थी. अक्टूबर 2005 के भूकंप से पाकिस्तान में 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों घर तबाह हो गए थे. उस समय पाकिस्तान को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव कोफी अन्नान ने आपातकालीन कोष में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग करने की अपील की थी. महासचिव कोफी अन्नान की अपील के बाद भारत की ओर से आपातकालीन कोष में 25 मिलियन डॉलर की सहयोग राशि प्रदान की गई थी, जो उस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से दी गई सहयोग राशि में सबसे अधिक थी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक मंडल ने पाकिस्तान के विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) कार्यक्रम को फिर से बहाल करने को मंजूरी दे दी है. इससे नकदी संकट से जूझ रहे देश को 7वीं और 8वीं किस्त के रूप में 1.17 अरब डॉलर मिलेंगे. वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा कि मुद्राकोष के निदेशक मंडल ने ईएफएफ कार्यक्रम फिर से बहाल करने को मंजूरी दी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, ‘हमें 7वीं और 8वीं किस्त के रूप में 1.17 अरब डॉलर मिलेंगे.’ बता दें कि पाकिस्तान और मुद्राकोष ने जुलाई, 2019 में छह अरब डॉलर का समझौता किया था, लेकिन जनवरी, 2020 में कार्यक्रम अटक गया और इस साल मार्च में इसे कुछ समय के लिये बहाल किया गया. इसके बाद जून में यह एक बार फिर पटरी से उतर गया था. मुद्राकोष ने कर्ज का आकार बढ़ाकर सात अरब डॉलर करने को भी मंजूरी दी है और इसका विस्तार जून, 2023 तक कर दिया है.
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पाकिस्तान भीषण बाढ़ के कारण खड़ी फसलों के पूरी तरह नष्ट होने के बीच भारत से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थों का आयात कर सकता है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने सोमवार को कहा कि सरकार भारत से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ आयात करने पर विचार कर सकती है. पड़ोसी देश में बाढ़ के कारण विभिन्न सब्जियों और फलों की कीमतों में भारी उछाल आ गया है. आपदा की वजह से बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिण पंजाब से सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.