रांची : सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में झारखंड की राजनीति में संशय बरकरार है. राजनीतिक असमंजस के बीच सरकार सोमवार से काम पर लौटी. सीएम और उनकी कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री सचिवालय पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर योजनाओं की समीक्षा की और फाइलों का निपटारा किया. मीडियाकर्मियों की भीड़ और कर्मचारियों में सरकार के भविष्य को लेकर चल रही चर्चा को छोड़ दें, तो सचिवालय में आम दिनों की तरह काम-काज हुआ.
सीएम दोपहर बाद प्रोजेक्ट भवन स्थित अपने कार्यालय पहुंचे और अंकिता मामले की जांच से संबंधित आदेश दिया. दिवंगत अंकिता के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने की कार्यवाही शुरू करायी. सीएम ने मुख्य सचिव समेत कई वरीय अधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. मौके पर सीएम ने कहा कि काम आगे बढ़ता रहेगा. सरकार अपना काम करती रहती है.
अधिकांश मंत्री अपने कार्यालय में सक्रिय दिखे. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर योजनाओं की समीक्षा की. फाइलें भी निपटायी. सिर्फ पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख अपने नेपाल हाउस स्थित कार्यालय नहीं आये. हालांकि, उनके कार्यालय नहीं जाने का असर विभागीय कार्यों पर नहीं पड़ा. दोनों मंत्रियों ने अपने आवासीय कार्यालय से फाइलों का निपटारा किया.
राज्यपाल की ओर से हेमंत सोरेन को विधानसभा सदस्यता के अयोग्य मानने से संबंधित पत्र सोमवार को भी भारत निर्वाचन आयोग के पास नहीं भेजा गया. सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल द्वारा चुनाव आयोग को अपने फैसले से अवगत कराने से सबंधित पत्र पर हस्ताक्षर होना बाकी है.
हस्ताक्षर के बाद इसे आयोग के पास अधिसूचना जारी करने के लिए भेजा जायेगा. आयोग द्वारा अधिसूचना जारी कर इसे राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी व स्पीकर को भेजा जायेगा. आयोग से राय आने के बाद राज्यपाल द्वारा विधि विशेषज्ञों से सलाह ले ली गयी है. इसके बाद ही सदस्यता के अयोग्य करने से संबंधित फैसला लिया गया है.
Posted By: Sameer Oraon