बियाडा में उद्योग चलाने वाले उघमी अब बिजली की मार झेल रहे हैं. उन्हें महज 15 से 17 घंटे ही बिजली मिल रही हैं. जिसके कारण उद्योगों का संचालन मुश्किल हो गया है. उद्योगों में उत्पादन प्रभावित होने के साथ कच्चा माल और मशीनरी दोनों का नुकसान हो रहा है. इधर बिजली का दो तिहाई रेवेन्यू उद्योगों से आने के बाद भी विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर उद्यमी अब खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि विभाग बिजली के बिल के रुप में मोटी रकम बटोर रहा है. फिर भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है. बिजली की ऐसी व्यवस्था रही तो उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं होगा.
उघमी विक्रम कुमार ने कहा कि बीते दो वर्षो से कोविड के कारण प्रभावित उद्योग फिर से पटरी पर आने की कवायद कर रहे हैं. उघमी पूरी क्षमता के साथ उद्योगों का संचालन फिर से शुरू किया. लेकिन इसके बावजूद उद्यमियों की परेशानी कम नहीं हो रही है. अब उद्योगों को बिजली की मार झेलनी पड़ रही है. बिजली की लचर व्यवस्था के कारण उत्पादन में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी गई हैं. उद्योगों को माल के साथ साथ उनकी मशीनरी भी अब खराब हो रही हैं. इससे हुए नुकसान की भरपाई भी करना संभव नहीं होगी.
उत्तर बिहार उघमी संघ के अध्यक्ष नील कमल के अनुसार बिजली की छोटी-छोटी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. ट्रिपिंग, लोड शेडिंग और मेंटनेंस के नाम पर बिजली विभाग अपनी मनमानी कर रहा है. जिसका सीधा खामियाजा उद्योगों को उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बिजली विभाग से इन समस्याओं को लेकर कर बार शिकायत भी की जा चुकी है. बावजूद इनके समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में बिजली के कई पोल को भी बदलने की जरुरत है. उसके कारण कभी बड़ा हादसा भी हो सकता है.